आज के दिन

मिस्र पर मुसलमानों की फ़तह

हेलीपोलिस की जंग से पहले, अगस्त 636 में यरमौक की जंग में मजबूत बीजान्टिनी अफ़वाज को शिकस्त देने के बाद, मुसलमानों ने लेवेंट को खिलाफत-ए-राशिदा में शामिल कर लिया था। मशरिक़ी जानिब, मुसलमानों ने नवंबर 636 में अल-कादिसियाह की जंग में सासानियों को कुचल दिया और इसके बाद मुसलमानों ने अपना ध्यान मिस्र की ओर लगाया।

दिसंबर 639 में, अमर इब्न अल-आस दूसरे रशीदुन खलीफा अमीर-उल मोमिनीन हजरत उमर इब्न अल-खत्ताब से 4,000 की फौज का लश्कर लेकर मिस्र के लिए रवाना हुए। अपने रस्ते में उन्होंने सबसे पहले फरवरी 640 में मिस्र के नील डेल्टा के मशरिक़ी सिरे पर वाक़्ये अहम् शहर पेलुसियम पर कब्जा कर लिया।

पेलुसियम फतह करने के बाद, मुसलमानों ने रेगिस्तानी रास्तों से होते हुए बेलबीस की ओर कूच किया और उसे घेर लिया। मार्च 640 के आखिर तक शहर ने हथियार डाल दिया। पेलुसियम और बेलबीस की चौकियों पर भी, अमर इब्न अल-आस की फौजों को खासी मुज़ाहेमत का सामना करना पड़ा। इसलिए उन्होंने हजरत उमर इब्न अल-खत्ताब से मजीद कुमुक (reinforcements) की दरख्वास्त की।

मुसलमान मई 640 में बेबीलोन (बाबुल ) पहुंच गए और शहर का मुहासरा करना शुरू कर दिया। मुहासरे के दौरान, अमर इब्न अल-आस ने इस खतरे को महसूस किया कि हेलियोपोलिस की फौजें बाबुल में लगे रहने के दौरान मुसलमानों पर पीछे से हमला कर सकती हैं। नतीजे के तौर पर, अमर इब्न अल-आस ने कुछ फौजों के साथ बाबुल छोड़ दिया और हेलियोपोलिस का मुहासरा कर लिया।

जुलाई, 640 के पहले हफ्ते में मुस्लिम कुमुक हेलियोपोलिस पहुंच गयी। कार्रवाई 6 जुलाई (Disputed Date) को शुरू हुई और रशीदुन फौजों ने हेलियोपोलिस की जंग में बीजान्टिनीयों को फैसलाकुन शिकस्त दी। यहां से, अमर इब्न अल-आस एक बार फिर बाबुल की ओर मुड़े, जिसने बिलआख़िर दिसंबर 640 में हथियार डाल दिया।

बाबुल पर कब्ज़ा करने के बाद, अमर इब्न अल-आस ने अलेक्जेंड्रिया की ओर कूच किया और आखिरकार सितंबर 641 में उसे भी फतह कर लिया।

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