1169 में सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी मिस्र के वजीर बने और आगे चलकर सुल्तान नूरुद्दीन जंगी की वफ़ात के बाद 1174 में दश्मिक (शाम) और 1183 में अलेप्पो पर अपना कंट्रोल कर लिया इसके आलावा उन्होंने सलीबी रियासतों के पुरे जुनूबी और मशरिकी हिस्सों को अपने कंट्रोल में ले लिया।
1185 में सलाहुद्दीन अय्यूबी और फ्रैंक्स के बीच एक रणनीतिक समझौता (strategic agreement) हुआ था। फ्रैंक्स western european को कहा जाता है। 1187 में औल्ट्रेजॉर्डेन के लॉर्ड रेनाल्ड ने एक मुस्लिम कारवान पर हमला कर इस जंगबंदी की शराएत की खिलाफवर्जी की। इसके बाद ही सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी ने मुसलमानों के खून का बदला लेने की कसम खाई थी।
26 जून, 1187 को हौरान में सलाहुद्दीन अय्यूबी ने एक बड़ी फौज तैयार की जिसकी मरकजी कमान उन्होंने खुद संभाली।
2 जुलाई को सलाहुद्दीन अय्यूबी ने टाइबेरियास के किले पर हमला कर दिया। जब यह खबर सलेबियों तक पहुंची तो 3 जुलाई को फ़्रैंकिश फौज टाइबेरियास की तरफ बढ़ने लगी। दोपहर के समय तक त्रिपोली के रेमंड ने फैसला किया की फौज रात के समय तक टाइबेरियास नहीं पहुँच पायेगी। उसने और “गी ऑफ़ लूजिगनन” ने फैसला किया की फौज को कफ्र हत्तीन की तरफ ले जाया जाय जंहा से वो अगले दिन टाइबेरियास पहुंच सकते हैं।
सलाहुद्दीन अय्यूबी ने अपनी फौज को फ़्रैंकिश फौज और पानी के बीच में तैनात कर दिया जिसकी वजह से फ्रैंक्स को मेस्केनाह गांव के पास एक सूखे पठार पर कैम्प लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा। 4 जुलाई की भोर तक सलेबी चारों तरफ से घिर चुके थे। सुबह होते ही कार्रवाई शुरू हो गई। इस जंग में सलेबियों की बुरी तरह से हार हुयी। “गी ऑफ़ लूजिगनन” और रेनॉल्ड को सलाहुद्दीन अय्यूबी के कैम्प में लाया गया।

सलाहुद्दीन अय्यूबी ने गीऑफ़ लूजिगनन को पानी की पेश-कश की जो को मुस्लिम कल्चर में इस बात का संकेत था की कैदी को बख्शा जाएगा लेकिन गी इस बात से अनजान था। गी ने कटोरा रेनाल्ड को दे दिया। सलाहुद्दीन अय्यूबी ने रेनॉल्ड के हाथ से कटोरे को गिरा दिया। और कहा की “मैंने इस शैतान आदमी को पानी पीने के लिए नहीं कहा और वह ऐसा कर के अपनी जान नहीं बचा पायेगा”। इसके बाद सलाहुद्दीन अय्यूबी ने रेनॉल्ड को अपनी तलवार से एक ही झटके में मार डाला। गी ऑफ़ लूजिगनन ने समझा की उसका भी सर कलम कर दिया जायेगा लेकिन सलाहुद्दीन अय्यूबी ने उसे ये कहते बख्श दिया की “बादशाह बादशाहों को नहीं मारते।”