हिकायत:
बुजुर्गाने दीन मस्जिद में मुबाह ( या’नी जाइज़ ) दुनियावी बात चीत भी नहीं किया करते थे, हज़रते खुलफ़ बिन अय्यूब रहमतुल्लाह तआला अलैह एक मरतबा मस्जिद में मौजूद थे कि किसी ने उन से कोई बात पूछी तो पहले उन्हों ने अपना सर मस्जिद से बाहर निकाला फिर उस की बात का जवाब दिया।
मस्जिद में दुनिया की बातों के हवाले से अहम सवाल जवाब
मेरे आक़ा आ’ला हज़रत रहमतुल्लाह तआला अलैह से पूछा गया कि क्या फ़रमाते हैं उलमाए दीन इस मस्अले में कि मसाजिद में मुआमलाते दुनिया की बातें करने वालों पर क्या मुमानअत है और बरोज़े हश्र क्या मुवाखज़ा होगा ? आ’ला हज़रत रहमतुल्लाह तआला अलैह ने जवाब दिया : दुनिया की बातों के लिये मस्जिद में जा कर बैठना हराम है। इश्बाह व नज़ाइर में फ़त्हुल क़दीर से नक्ल फ़रमाया : मस्जिद में दुनिया का कलाम नेकियों को ऐसा खाता है जैसे आग लकड़ी को। येह मुबाह बातों का हुक्म है फिर अगर बातें खुद बुरी हुई तो उस का क्या जिक्र है, दोनों सख्त हराम दर हराम, मूजिबे अज़ाबे शदीद है। ( फ़्तावा रज़विय्या , 8 / 112 )
नेकियां बरबाद होने से बचाइये स. 74