मोहम्मद सद्दाम हुसैन अहमद कादरी बरकाती फैजी
सदार शोबाऐ इफ्ता मीरानी दारुल इफ्ता खंभात शरीफ गुजरात इंडिया
बड़ा उसका रुतबा खुदा ने किया है
मेरे मुस्तफा पर जो दिल से फिदा है
कर्म उस पे होगा खुदा का यकीनन
जो पढता दरूदों को सुबहो मसा है
अमल सुन्नते मुस्तफा पर करे जो
उसे बख्श देगा खुदा ने कहा है
समझ क्या सकेगा बशर उनका रुतबा
खुदा जिनकी अजमत बयां कर रहा है
फराइज का तारीक है जो भी मुसलमान
नहीं उसका इमां मुकम्मल हुआ है
नमाजैं ना कुछ काम आएंगी वल्ला
अगर दिल में बुगजे हबीबे खुदा है
वहाबी से रिश्ता रखो ना जरा तुम
सड़ाएेगा तुमको वो खुद भी सडा है
बना जबसे अहमद है उनका सना ख्वाँ
खुदा के करम से बड़ा जा रहा है