लेखक: मह़मूद रज़ा क़ादरी
- रजबुल मुरज्जब उन चार मुक़द्दस महीनो में शामिल है जिनका ज़िक्र क़ुरान में मौजूद है यानि ज़िल क़ायदा,ज़िल हज्ज,मुहर्रम और रजब
📕 पारा 10,सूरह तौबा,आयत 36
📕 खज़ाएनल इरफान,सफह 229
- रजब तरज़ीब से मअखूज़ है जिसका माने हैं ताज़ीम करना अहले अरब इस महीने की खूब ताज़ीम करते थे और इसे अल्लाह का महीना कहते थे,इस महीने की पहली तारीख को हजरत नूह अलैहिस्सलाम कश्ती पर सवार हुए इसी माह की चार तारीख को जंगे सिफ्फीन का वाक़िया पेश आया और इसी महीने की 27वीं शब को हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम को जिसमे अनवर के साथ मेराज शरीफ हुई
📕 बारह माह के फज़ायल,सफह 392
- हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि रजब अल्लाह का महीना है और शाबान मेरा महीना है और रमज़ान मेरी उम्मत का महीना है और फरमाते हैं कि इस महीने में 1 रोज़े का सवाब 1 साल के रोज़े के बराबर है और फरमाते हैं कि रजब की फज़ीलत बाकी महीनो पर ऐसी है जैसी मेरी फज़ीलत तमाम अम्बिया पर और रमज़ान की फज़ीलत बाकी महीनो पर ऐसी है जैसी खुदा की फज़ीलत तमाम बन्दों पर और फरमाते हैं कि जो इस महीने में 7 रोज़े रखे तो उस पर जहन्नम के सातो दरवाज़े बंद हो जायेंगे और जो 8 रोज़े रखे तो उसके लिए जन्नत के आठों दरवाज़े खोल दिए जायेंगे और जो 10 रोज़े रखे तो खुदा से जो सवाल करेगा मिलेगा और जो 15 रोज़े रखे तो उसके पिछले सारे गुनाह माफ कर दिए जायेंगे
📕 मासबत मिन सुन्नह,सफह 126
- रजब जन्नत में एक नहर का नाम है जिसका पानी दूध से ज़्यादा सफेद शहद से ज़्यादा मीठा और बर्फ से ज़्यादा ठंडा है वो पानी वही पियेगा जो रजब के रोज़े रखेगा
📕 मुकाशिफातुल क़ुलूब,सफह 636
- एक मर्तबा हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम एक पहाड़ के करीब से गुज़रे जिसमे से नूर निकल रहा था,आप ने रब से दुआ की कि ये पहाड़ मुझसे कलाम करे,आप के इतना कहते ही पहाड़ ने आपसे पूछा कि आप क्या चाहते हैं तो आप अलैहिस्सलाम ने अर्ज़ किया कि तेरी ये चमक दमक कैसे है इस पर वो बोला कि मेरे अंदर एक मर्दे खुदा मौजूद है जिसकी ये बरक़त है,फिर आप अलैहिस्सलाम ने रब से दुआ की कि उस मर्दे खुदा को ज़ाहिर फरमा तो पहाड़ फट गया और वो बुज़ुर्ग ज़ाहिर हुए उन्होंने कहा कि मैं हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की क़ौम से हूं मैंने रब से दुआ की थी कि मैं हज़रत मुहम्मद सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम का दौर भी पाऊं ताकि मैं उनकी उम्मत में शामिल हो सकूं तो मैं अब तक 600 साल से इस पहाड़ के अंदर इबादत में मशगूल हूं,तब हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम ने अल्लाह से पूछा कि ऐ मौला क्या रूए ज़मीन पर इससे बढ़कर बुज़ुर्ग भी कोई शख्स मौजूद है तो रब तआला इरशाद फरमाता है की ऐ ईसा उम्मते मुहम्मदिया का जो फर्द भी माहे रजब का एक रोज़ा रख लेगा तो वो मेरे नज़दीक इससे भी बढ़कर बुज़ुर्ग होगा सुब्हान अल्लाह सुब्हान अल्लाह
📕 नुज़हतुल मजालिस,जिल्द 1,सफह 130
- मेरे आक़ा सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम का इरशाद है कि जो शख्स 27वीं रजब का रोज़ा रखेगा तो उसे 60 महीनो के रोज़े का सवाब मिलेगा
📕 गुनियतुत तालेबीन,जिल्द 1,सफह 182
- जो कोई रजब की 27वीं शब को 2 रकात नमाज़ इस तरह पढ़े कि दोनों रकात में बाद सूरह फातिहा के सूरह इखलास 21 बार और सलाम फेरने के बाद 10 मर्तबा दुरूदे पाक फिर ये दुआ पढ़ें इंशा अल्लाह जल्द सेंड होगा तो इसकी बरकत से हर दुआ कुबूल होगी और जब दूसरों के दिल मुर्दा हो जायेंगे तब भी इसका दिल ज़िन्दा रहेगा इन शा अल्लाह
📕 नुज़हतुल मजालिस,जिल्द 1,सफह 130
इस महीने में 22 रजब को हज़रत इमाम जाफर सादिक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के नाम से कूंडे की नियाज़ होती है,इसके तअल्लुक़ से हुज़ूर ताजुश्शरीया व हुज़ूर मुहद्दिसे कबीर दामत बरक़ातोहुमुल आलिया फरमाते हैं कि “22 तारीख को सय्यदना अमीरे मुआविया रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की विसाल की तारीख है और शिया उस दिन उन पर तबर्रा बाज़ी करते थे तो हज़रत इमाम जाफर सादिक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने उस दिन सय्यदना अमीरे मुआविया रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की नियाज़ क़ायम फरमाई जिससे कि शियाओं को उन पर तबर्रा करने का मौक़ा ना मिले,यही नियाज़ आपके बाद आपकी तरफ मंसूब हुई लिहाज़ा 22 तारीख को कूंडा करने में कोई हर्ज नहीं बस शियाओं की मुशाबहत ना इख्तियार करे मसलन उनके यहां जहां पके वहीं खाया जाए वहीं हाथ धोया जाए घर से बाहर ना ले जाया जाए औरतें ना खाएं ये सब खुराफातें होती है तो ये सब मरदूद रस्में हैं सुन्नियों को इससे बचना ज़रूरी है