सामाजिक

ये भारत में ही मुमकिन है!

By: गुलाम मुस्तफा नईमी
दिल्ली

_ गुजरात के सूरत शहर से आ रही एक खबर ने लोगों के दिलों को झकझोर कर रख दिया है। सूरत में नकल रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाए जा रहे थे। इस मामले में सुनील मिश्रा, पुनीत शाह और कोशल वोरा नाम के तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ये लोग नमक और ग्लूकोज मिलाकर इंजेक्शन बनाते थे। अब तक ये लोग लगभग एक लाख इंजेक्शनों को मार्केट में सप्लाई कर चुके हैं। इनके अलावा, असीम भाले, दलाल भी इस खेल में शामिल था।यह दलाल छह हजार दे कर इंजेक्शन खरीदता था।ये सिद्धार्थ को आठ हजार में सप्लाई करता। ब्रोकर धीरज 16,000 रुपये में और अगला ब्रोकर दिनेश चौधरी इसे 24,000 रुपये में खरीदते थे और इसे लोगों को 35,000 रुपये से 40,000 रुपये में बेचते थे।

अभियुक्तों के अनुसार, एक इंजेक्शन की कुल लागत 180 रुपये थी। वे एक कबाड़ी की दुकान से खाली बोतलें खरीदते थे और मुंबई की एक प्रिंटिंग प्रेस से नकली रैपर छपवाते थे। इस खेल में प्रिया नाम की एक लड़की भी शामिल थी। इस तरह 180 रूपये का नकली इंजेक्शन मरीज को तीस से चालीस हजार तक पहुंचता था। जिंदगी और मौत से लड़ने वाले मरीजों के पास इसे खरीदने के अलावा कोई चारा नहीं होता।

आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इन लोगों ने अब तक कितने लोगों की जान ली होगी। एक तरफ इंसान ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए जीवन और मृत्यु के बीच झूल रहे हैं दूसरी ओर, ये शैतान नुमा इंसान ऐसे मौकों पर नकली दवाइयाँ बनाकर लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि मौत का ये सामान उस गुजरात में तैयार हो रहा है, जिसके माॅडल की प्रशंसा में प्रधानमंत्री और उन के भक्तों की मंडली जमीन आसमान एक करती फिरती है। लेकिन वास्तविकता सबके सामने है।

_ ऐसा नहीं है कि इस खेल में साधारण ड्रग तस्कर ही शामिल हैं, इस जघन्य खेल में ‘विश्व हिंदू परिषद’ के जिम्मेदार लोग, जो खुद को हिंदू संस्कृति का रक्षक कहते हैं,भी शामिल हैं। ताजा मामला जबलपुर से सामने आया है। ‘ विश्व हिंदू परिषद के जिला पदाधिकारी ‘सरबजीत मोखा’ के खिलाफ नकली इंजेक्शन की आपूर्ति करने का मामला दर्ज किया गया है। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सरबजीत अपने ‘सिटी अस्पताल’ में कोरोना पीड़ितों को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगवाता था। गुजराती तस्कर सपन जैन इस की आपूर्ति करता था। पुलिस ने इस मामले में भगवती फार्मा एजेंसी के मालिक देवेश चौरसिया, सपन जैन और सरबजीत मोखा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। अब तक वे 400 इंजेक्शन लगाने की बात स्वीकार कर चुके हैं। सपन जैन गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि सरबजीत मोखा फरार हो गया।

ये वो लोग हैं जो स्वयं को धर्म और संस्कृति का संरक्षक और ठेकेदार मानते हैं।

ये वे लोग हैं जो समाज में नफरत और दुश्मनी फैलाते हैं।

लेकिन हालिया मामले से यह स्पष्ट हो जाता है कि ये लोग न तो धर्म के प्रति सच्चे हैं और न ही अपन समाज के प्रति सहानुभूति रखते हैं। ये लोग केवल पैसे के पुजारी हैं जिसके लिए वो अपने समाज के जीवन के साथ भी खिलवाड़ करने से बाज़ नहीं आते। अपने गंदे कामों को छिपाने के लिए यही लोग धर्म और संस्कृति का चोला पहन लेते हैं। मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाते हैं। लेकिन अब इन का असली चेहरा देखना चाहिए और खुद से पूछना चाहिए कि क्या नकली इंजेक्शन केवल मुसलमानों के लिए बनाए जा रहे थे या हिंदू मरीजों भी इस चपेट में आऐ हैं?

सोचें!
और ठंडे दिल से सोचें कि कैसे मुस्लिम विरोधी नफरत की आड़ में सांपों को दूध पिलाया जाता है। मगर मौका मिलते ही ये साँप दूध पिलाने वालों को भी नहीं छोड़ते।

11 मई, 2021

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