सल्तनते उस्मानिया के 22वें सुल्तान अहमद 3th को उनकी और उनके करीबी वज़ीरों की महंगी और बड़ी शानो शौकत से भरी हुई जिंदगी की वजह से सुल्तान अहमद 3th आवाम के बीच नापसंदीदा हो गए।
अल्बानिया के सरपरस्त खलील की कायदात में, सत्रह जेनेसरीयों ने कुछ शहरियों की मदद से, 20 सितंबर 1730 को बगावत कर दी। इस बगावत की वजह से सुल्तान को तख़्त से दस्तबरदार होने के लिए मजबूर होना पड़ा था। उन्होंने अपनी मर्जी से अपने भतीजे महमूद 1th को तख्त पर बैठाया और अपने ओहदे से दस्तबरदार हो गए। इसके छह माह बाद कफ़स (उस्मानी महल के शाही हरम का वो हिस्सा जहां तख़्त के मुम्किना उम्मीदवार या जानशीनों को महल के फौजियों की निगरानी में रखा जाता था) में उनकी मौत हो गयी।