- हिन्दु मुस्लिम समुदाय के बीच दूरी पैदा करने वाले,किसी समुदाय विशेष पर अत्याचार और उनको प्रताडित करने वाले तथा किसी धर्म विशेष की धार्मिक व सम्मानित शख्सियत पर अभद्र टिप्पणी करने वाले समस्त संगठनों को प्रतिबंधित किया जाना ही देश-हित में है: मुफ्ती सलीम
प्रेस विज्ञप्ति
दरगाह आला हज़रत
बरेली शरीफ।
भारत व नेपाल सुन्नी उलमा इत्तेहाद कौन्सिल” के तत्वावधान में “नफ़रत मिटाओ-समाज बचाओ” शीर्षक पर एक विशेष वेबीनार का आयोजन हुआ। इस वेबीनार में मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता के रुप में दरगाह आला हजरत बरेली के इतिहासिक मदरसा मंज़र-ए-इस्लाम के वरिष्ठ शिक्षक मुफ्ती मोहम्मद सलीम नूरी ने बताया कि इस समय हमारे समाज को नफरत ने अपनी आगोश में ले रखा है। समाज से नफ़रत मिटाने और समाज को जोडने के लिए नफरत व कट्टरवाद फैलाने वाले व किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाओ को ठेस पहुंचाने वाले,किसी धर्म विशेष या किसी की धार्मिक व सम्मानित शख्सियत को निशाना बनाकर देश और समाज का माहौल खराब करने वाले सभी नफरती संगठनों को प्रतिबंधित करना ही देश हित और मानवता हित मे है। बुराई को खत्म करने के लिए हम सब को प्रयास करते रहना चाहिए। हमारे पैगंबर की हदीस है कि “यदि तुम कोई बुराई देखो तो उसे अपनी ताकत से बदलने के लिए प्रेरित करो और यदि वह ऐसा ना कर सके तो उसे अपनी बात से बदलने दो और यदि वह ऐसा भी न कर सके तो वह अपने दिल से उसे बुरा जाने।और यह धर्म का सबसे कमजोर इंसान है”। देश और समाज में शांति और सदभाव स्थापित करने के लिए बिना भेदभाव सभी कट्टरवादी संगठनों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। प्रतिबंध मुख्यतः उन संगठनों पर लगाना चाहिए जो धर्म के नाम पर स्थापित तो हो गए हैं परंतु धर्म के सिद्धांतों और शिक्षाओं को नहीं मानते। जहाॅ तक हमारे धर्म की बात है तो आप को मालूम होना चाहिए कि इस्लाम अलगाववाद, दुष्कर्म और हिंसक गतिविधियों रहित एक आदर्शवादी समाज की स्थापना की बात प्रसारित करता है। ऊपर दी हुई प्रसिद्ध हदीस सभी मुसलमानों को बड़े गुनाह जैसे हत्या करना,मारपीट करना,सामूहिक हिंसा आदि या छोटे गुनाह जैसे किसी को गाली देना,बुराई करना,चुगली करना आदि से अलग रहने को प्रेरित करती है। एक सच्चे मुसलमान को शैतानी सोच रखने वाले व्यक्तियों एवं कट्टरवादी संगठनों से दूर रहने और उन्हे सुधार के रास्ते पर लाने की सीख देती है। समाज हित के लिए ऐसे संगठनों को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए जो प्यार और दया की बजाय शत्रुता को बढ़ावा देते हों तथा सीधे साधे लोगों तथा नौजवानों को शांतिप्रिय और समृद्ध बनाने की बजाय हिंसा व विरोध प्रदर्शन के लिए उकसाते हों।
सूफी खानकाहों ने यहाॅ शान्तिवाद की स्थापना और नफरत मिटाने मे अहम भूमिका निभाई है। हम सब को खानकाही निज़ाम से इस नफरत को मिटाने की के लिए आगे आना होगा तभी हम समाज को जोड पाएंगे।
नासिर कुरैशी
मीडिया प्रभारी
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