- उर्स-ए-मुबारक 28 सफर
इमाम रब्बानी मुजद्दिद अल्फसानी हज़रत शैख़ अहमद फ़ारूक़ी सरहिन्दी 16वीं और 17वीं शताब्दी के एक विख्यात भारतीय सूफ़ी विद्वान थे। आपका सम्बन्ध हनफ़ी विचारधारा और नक़्शबन्दी सूफ़ी सम्प्रदाय से था। आप सरहिंद (पंजाब) के एक गांव में पैदा हुए। इमाम रब्बानी ने बादशाह अकबर व जहांगीर की झूठी विचारधारा का विरोध किया और दोनों बादशाहों के गुरूर को मिट्टी में मिला दिया। अापने दीन-ए-इस्लाम की सही शिक्षा लोगों तक पहुंचायी। बादशाह अकबर के दीन-ए-इलाही को जमीन के नीचे दफ़्न कर दिया। बादशाह जहांगीर ने बाद में तौबा की और दीन-ए-इस्लाम की तरक्की में लगा रहा। मुजद्दिद अल्फसानी ने हिंद के मुसलमानों के ईमान की हिफ़ाजत की और इस्लाम को नयीं ताकत दी। भारतीय उपमहाद्वीप में फैली नक़्शबन्दी विचारधारा को आपने फरोग दिया। आपने हमेशा हक बोला, हक लिखा। आप पैेगंबर-ए-आज़म, सहाबा व अहले बैत के सच्चे आशिक थे। आप बहुत परेहजगार व इबादतगुजार थे। आपका विसाल 28 सफर 1034 हिजरी में हुआ।