- 44वां जलसा-ए-आला हज़रत
गोरखपुर। सोमवार देर रात आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां की याद में तुर्कमानपुर नूरी मस्जिद के पास 44वां सालाना जलसा हुआ। संयोजक शाबान अहमद व अलाउद्दीन निज़ामी ने उलमा किराम का सम्मान किया।
मुख्य अतिथि संतकबीर नगर के शहर काजी मुफ़्ती अख़्तर हुसैन अलीमी ने कहा कि आला हज़रत इमाम अहमद रजा खां फाजिले बरेलवी ऐसी शख़्सियत थे, जिन्होंने देश दुनिया की तमाम समस्याओं को हल कर दिया था। वह समसायिक विषयों पर काफी प्रखर होकर तर्कों के साथ विचार व्यक्त करते, जिसका अनुसरण अब तक लोग कर रहे हैं। वह गणित और विज्ञान समेत सौ विषयों में माहिर थे।
अध्यक्षता करते हुए पीरे तरीक़त अल्लामा मो. हबीबुर्रहमान रज़वी ने कहा कि दुनिया की तकरीबन सौ यूनिवर्सिटी में आला हज़रत की ज़िंदगी और खिदमात (कारनामों) पर शोध हो रही है। जैसे-जैसे तहकीक आगे बढ़ रही है, आपकी ज़िंदगी और इल्मी कारनामों के नई-नई बातें सामने आ रही हैं।
मौलाना मो. असलम रज़वी ने कहा कि बड़े-बड़े बुद्धिजीवी ये देख कर हैरान हैं कि आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां इतने विषयों में कैसे माहिर थे। ऐसी शख़्सियत सैकड़ों साल बाद कोई एक पैदा होती है। उन्होंने बड़े से बड़े विज्ञानियों के नजरियात (विचारों) को बदल दिया, मगर अब तक किसी भी विज्ञानी ने उनके दलीलों को चैलेंज नहीं दिया है।
क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत कारी सफीउल्लाह निज़ामी ने की। नात व मनकबत शादाब व पैकर ने पेश की। संचालन मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही ने किया। अंत में फातिहा ख्वानी हुई। सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो सलामती व भाईचारे की दुआ मांग शीरीनी बांटी गई।
जलसे में मुफ्ती अख्तर हुसैन, मुफ़्ती मुनव्वर रज़ा, मौलाना मकबूल अहमद, शाबान अहमद, हाजी खुर्शीद आलम खान, मो. शरीफ, मिस्बाहुल हसन, अलाउद्दीन निज़ामी, आसिफ सर्राफ, नूर अशरफ़ निज़ामी, हसीन अहमद, डॉ. जफ़रुल हसन, फिरोज अहमद निज़ामी, मुफ़्ती मो. अज़हर शम्सी, मुफ़्ती मनोव्वर अहमद आदि मौजूद रहे।