लेखक: अब्दे मुस्तफ़ा
हर लड़की की अपने होने वाले शौहर के बारे में कुछ ना कुछ ख्वाहिशात होती हैं, कुछ सपने होते हैं कि वो कैसा होना चाहिये।
पहले लड़कियों की सोच अलग थी लेकिन अब फिल्में देख देख कर, बाज़ारों में घूम घूम कर लड़कियों का दिमाग खराब हो चुका है और उन की पसंद को भी लक़वा मार चुका है।
अभी आप देखें तो लड़कियों को ऐसा शौहर चाहिये जो स्टाइलिश हो, दाढ़ी वगैरा ना हो, भले ही एक लाख रूपये और एक गाड़ी ले लेकिन कुँवारा हो ताकि पूरा पूरा प्यार दे सके, फिल्में दिखाने ले जाये, लॉन्ग ड्राइव पर ले जाये, मेलों ठेलों में घुमाये और पर्दे की बिल्कुल बात ना करे।
ये वो बातें हैं जिन की वजह से लड़कियों की और उन से जुड़े लोगों की ज़िन्दगी बद हाल हो रही है।
इमाम गज़ाली रहीमहुल्लाह लिखते हैं कि (जब किसी लड़की के पास निकाह का पैगाम आये तो वो) अपने घर के क़ाबिले एतिमाद मर्द को कहे कि वो पैगाम देने वाले लड़के के दीन, अक़ीदे, साहिब -ए- मुरव्वत होने और वादे का पक्का होने के मुतल्लिक़ मालूमात हासिल करे।
और ये मालूम करे कि वो पाबंदी से बा जमा’अत नमाज़ पढ़ता है या नहीं।
और ये कि वो अपने कारोबार और तिजारत में मुख्लिस है या नहीं।
और उस के दीन और सीरत को देखे, माल दौलत और शोहरत को नहीं।
(انظر: آدابِ، مترجم، ص47)
ये बातें आज कल नहीं देखी जाती बल्कि पहला सवाल ये होता है कि लड़का कितना कमाता है।
अल्लाह त’आला हमें सालिहीन की इत्तिबा की तौफीक़ अता फरमाये।