रोज़ादार को इफ्तार कराना बहुत बड़ा सवाब है उस से उसके गुनाह माफ़ हो जाते हैं और दोज़ख से आज़ादी लिख दी जाती है
हज़रत सलमान फारसी रज़ि अल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि हुजूरे अक्दस सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने माहे रमज़ान के फ़ज़ाइल में फरमाया कि जो रमज़ान में रोज़ादार को इफ्तार कराए तो गुनाहों से उसकी मरिफरत और दोज़ख से आज़ादी हो जाएगी और उसको भी उतना ही सवाब होगा बगैर किसी नुक्सान के जितना उसको होगा सहाबा ने अर्ज की या रसूलुल्लाह हम में से हर एक के पास इतना नहीं है कि रोज़ादार को इफ्तार कराए हुजूर ने फरमाया एक मुट्ठी खाना ही सही मैंने अर्ज़ की अगर उसके पास रोटी का लुक्मा भी न हो हुजूर ने फरमाया कि पानी मिला हुआ दूध ही सही फिर मैंने अर्ज की अगर वह भी न हो तो फरमाया कि पानी का एक छूट ही पिला देना!
(फैज़ाने आलाहज़रत सफ़ह ,603)