गोरखपुर

बाज़ारों में इत्र, मिस्वाक की बढ़ी मांग

पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ख़ुशबू का तोहफ़ा रद्द नहीं फरमाते थे। इत्र लगाना पैगंबर-ए-आज़म की सुन्नत है। मुकद्दस रमज़ान व ईद में इत्र की मांग बढ़ जाती है। नखास स्थित इत्र के विक्रेता अख्तर आलम ने बताया कि मजमुआ, फिरदौसी, गुलाब, मुश्क, मुश्क अम्बर, मैगनेट, अतर संदल, बहार, अतर फवाके सद़फ , अतर हयाती, कश्तूरी, अतर शमामा बाजार में उपलब्ध है। बाजार में मजमुआ, फिरदौसी, गुलाब की ज्यादा मांग है। वहीं रमज़ान में रोज़ेदार मिस्वाक बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रहे हैं। पैग़ंबर-ए-आज़म ने फरमाया कि मिस्वाक का इस्तेमाल अपने लिए लाज़िम कर लो क्योंकि इसमें मुंह की पाकीज़गी और अल्लाह की खुशनूदी है। रमज़ान में मिस्वाक की खासी मांग है। मिस्वाक बाजार में दस से पंद्रह रुपये में उपलब्ध है। यह मिस्वाक राजस्थान में पाईं जाने वाली पीलू की लकड़ी से बनती है। रमज़ान में मुकद्दस क़ुरआन, दीनी किताब, नमाज़ सीखने की किताब, टोपियों की भी खूब मांग रह रही है। सुर्मा लगाना पैग़ंबर-ए-आज़म की सुन्नत है। रोज़ेदार रमज़ान में इसका खास ख्याल रखते हैं। इस वक्त सुर्मा की भी मांग बढ़ गई है।

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