गोरखपुर। मुकद्दस रमज़ान का पहला अशरा (दस दिन का) रहमत का मंगलवार की शाम खत्म हो जाएगा। दूसरा अशरा मग़फिरत (गुनाहों की माफी) का शुरु होगा। नौवां रोजा खैर व बरकत के साथ गुजर गया। बंदे अल्लाह की रज़ा में नेक काम कर खूब नेकियां कमा रहे हैं। नेकी कमाने का यह सिलसिला पूरे रमज़ान तक ऐसे ही चलता रहेगा। मस्जिदों में दर्स का सिलसिला जारी है। तरावीह की नमाज़ पढ़ी जा रही है। वहीं दरगाह हज़रत मुबारक ख़ां शहीद मस्जिद में हाफ़िज़ हसन रज़ा ने तरावीह की नमाज़ के दौरान एक क़ुरआन-ए-पाक पूरा किया। हाफ़िज़ हसन को तोहफों व दुआओं से नवाज़ा गया।
रूह की तरबियत व पाकीज़गी के लिए है मुकद्दस रमज़ान: गौसिया सुम्बुल
मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाज़ार की शिक्षका गौसिया सुम्बुल ने बताया कि जिस्म और रूह से मिलकर इंसान बना है। यूं तो साल भर इंसान खाना-पीना और जिस्मानी व दुनियावी जरूरतों का ख्याल रखता है, लेकिन मिट्टी के बने इंसान में असल चीज तो उसकी रूह होती है अल्लाह ने रूह की तरबियत और पाकीज़गी के लिए मुकद्दस रमज़ान बनाया है। आज हम एक ऐसे दौर से गुजर रहें हैं जहां इंसानियत दम तोड़ती नज़र आ रही है और खुदगर्ज़ी हावी हो रही है। ऐसे में मुकद्दस रमज़ान का महीना इंसान को अपने आप के अंदर झांकने और खुद की खामियों को दूर कर नेक राह पर चलने का मौका देता है।