आइंस्टीन के ड्राइवर ने एक बार आइंस्टीन से कहा–“सर, मैंने हर बैठक में आपके द्वारा दिए गए हर भाषण को याद किया है!” आइंस्टीन हैरान !
उन्होंने कहा- “ठीक है, अगले आयोजक मुझे नहीं जानते, आप मेरे स्थान पर वहां बोलिए और मैं ड्राइवर बनूंगा !
ऐसा ही हुआ, बैठक में अगले दिन ड्राइवर मंच पर चढ़ गया और भाषण देने लगा…
उपस्थित विद्वानों ने जोर-शोर से तालियां बजाईं !
उस समय एक प्रोफेसर ने ड्राइवर से पूछा – “सर, क्या आप उस सापेक्षता की परिभाषा को फिर से समझा सकते हैं ?”
असली आइंस्टीन ने देखा बड़ा खतरा !
इस बार वाहन चालक पकड़ा जाएगा, लेकिन ड्राइवर का जवाब सुनकर वे हैरान रह गए…
ड्राइवर ने जवाब दिया- “क्या यह आसान बात आपके दिमाग में नहीं आई ?
मेरे ड्राइवर से पूछिए,—वह आपको समझाएगा !
नोट : “यदि आप बुद्धिमान लोगों के साथ चलते हैं, तो आप भी बुद्धिमान बनेंगे और मूर्खों के साथ ही सदा उठेंगे-बैठेंगे तो आपका मानसिक तथा बुद्धिमता का स्तर और सोच भी उन्हीं की भांति हो जाएगी… !