गुजरात

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे की पोल खोलता गुजरात का स्कूल

गुजरात के मेहसाणा ज़िले के श्री केटी पटेल स्मृति विद्यालय में कथित तौर पर धर्म के नाम पर भेदभाव का मामला सामने आया है।अरनाज़बानू के पिता का आरोप है कि 10वीं कक्षा की टॉपर उनकी बेटी को 15 अगस्त के पुरस्कार समारोह में सम्मानित नहीं किया गया। वहीं प्रिंसिपल ने कहा कि छात्रा को 26 जनवरी को उसका पुरस्कार मिलेगा।

गुजरात के मेहसाणा ज़िले की रहने वाली अरनाज़बानू जब स्वतंत्रता दिवस पर कक्षा 10 और कक्षा 12 के सम्मान में अपने स्कूल द्वारा आयोजित एक समारोह में पहुंचीं, तो उन्हें उम्मीद थी कि मंच पर सबसे पहले उन्हें बुलाया जाएगा। आखिरकार 10वीं कक्षा में 87 प्रतिशतt अंकों के साथ वह टॉपर थीं।

हालांकि ऐसा हुआ नहीं। ऐसा प्रतीत होता है कि यह धर्म के आधार पर जान-बूझकर भेदभाव का मामला है, मेहसाणा ज़िले के लुनवा गांव में स्थित स्कूल श्री केटी पटेल स्मृति विद्यालय ने अपनी इस स्टार छात्रा को सम्मानित करने से इनकार कर दिया। बताया जाता है कि अरनाज़बानू रोते हुए घर लौटीं।

लुनवा गांव के रहने वाले उनके पिता सनवर खान ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, ‘स्कूल प्रबंधन ने हमें बताया कि जो पुरस्कार बेटी का मिलना चाहिए था, वह दूसरा स्थान हासिल करने वाले छात्र को दिया गया। मैं स्पष्टीकरण मांगने के लिए स्कूल प्राधिकारियों और शिक्षकों से मिला, लेकिन उनका जवाब अस्पष्ट था।’ पिता ने आगे कहा, ‘उन्होंने हमें आश्वासन दिया है कि पुरस्कार 26 जनवरी को दिया जाएगा, मेरा सवाल है कि यह 15 अगस्त को क्यों नहीं दिया गया? एक किसान के रूप में हमारा परिवार किसी भी प्रकार के भेदभाव का सामना किए बिना पीढ़ियों से यहां रह रहा है, लेकिन अब मेरी बेटी को उस पुरस्कार के लिए जानबूझकर नज़रअंदाज़ कर दिया गया, जिसकी वह हकदार थी।’

स्कूल के प्रिंसिपल बिपिन पटेल ने कहा, ‘हमारा स्कूल किसी भी प्रकार के भेदभाव के ख़िलाफ़ सख़्त नीति रखता है। निश्चिंत रहें, योग्य छात्रा को 26 जनवरी को उसका पुरस्कार मिलेगा। वह निर्धारित दिन पर अनुपस्थित थी, जिससे समारोह में बाधा उत्पन्न हुई।’ सनवर खान ने इसका विरोध करते हुए कहा, ‘प्रिंसिपल के दावे के विपरीत मेरी बेटी उस दिन स्कूल गई थी। स्कूल सीसीटीवी कैमरों से सुसज्जित है, जो आवश्यक स्पष्टीकरण प्रदान कर सकता है।’

इस घटना से विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कार्यकर्ताओं और नागरिकों में असंतोष की लहर फैल गई है। लेखक सलिल त्रिपाठी ने एक ट्वीट में कहा, ‘यह मोदी-युक्त भारत की स्थिति है।’ स्कूल के शिक्षक अनिल पटेल कहते हैं, ‘15 अगस्त का कार्यक्रम हमारे छात्रों की उपलब्धियों को स्वीकार करने के लिए एक छोटा सा उत्सव था। पुरस्कार औपचारिक रूप से 26 जनवरी को दिए जाएंगे, जिसमें असाधारण प्रतिभा प्रदर्शित करने वालों को शामिल किया जाएगा। हम किसी भी शिकायत को दूर करने और अपने सभी छात्रों के प्रयासों को स्वीकार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’

इस घटना ने शैक्षणिक उपलब्धियों के लिए समान व्यवहार और सम्मान के बारे में व्यापक सवाल खड़े कर दिए हैं, ख़ासकर प्रधानमंत्री मोदी के ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’के संदेश के संदर्भ में।

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