लेखक: अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी
मुरादाबाद यू पी, इंडिया
हदीस शरीफ़
हज़रत सय्यिदुना अबू दरदा रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से मरवी है उन्होंने इरशाद फ़रमाया: नेकी का हुक्म देते रहना और बुराई से रोकते रहना, नहीं तो अल्लाह तआला तुम पर ऐसा हाकिम मुसल्लत कर देगा जो तुम्हारे बुज़ुर्गों का एहतराम नहीं करेगा, तुम्हारे बच्चों पर रहम नहीं करेगा तुम्हारे बड़े बुलाएंगे लेकिन उनकी बात नहीं मानी जाएगी, वो मदद तलब करेंगे मगर उनकी मदद नहीं की जाएगी और वो बख़्शिश तलब करेंगे मगर उन्हें नहीं बख़्शा जाएगा (मुकाशिफ़तुल क़ुलूब)
हदीस शरीफ़
हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: कुछ लोग ऐसे होते हैं जो भलाई के फ़ैलने का और बुराई को रोकने का ज़रिया होते हैं, और कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो बुराई के फ़ैलने का और भलाई में रुकावट का ज़रिया होते हैं सो मुबारक है उन लोगों को जिन्हें अल्लाह तआला ने ख़ैर के फ़ैलने का ज़रिया बनाया और हिलाकत है उन लोगों के लिए जो बुराई फ़ैलने का सबब हो गए,
फ़क़ीह अबुल्लैस रज़िअल्लाहू तआला अन्ह ये हदीस नक़ल करने के बाद तम्बीहुल ग़ाफ़िलीन, में फ़रमाते हैं:
हासिल कलाम ये के अम्र बिल मअरूफ़ और नहीउन अनिल मुन्कर करने वाला भलाई को फ़ैलाता है और बुराई के लिए रुकावट है और वो मोमिनीन में से है (तम्बीहुल ग़ाफ़िलीन)
क़ुरआन मजीद में अल्लाह तआला का फ़रमाने आलीशान है:
(तर्जमा) और मुसलमान मर्द और मुसलमान औरतें एक दूसरे के रफ़ीक़ हैं, भलाई का हुक्म दें और बुराई से मना करें (पारा 10, रुकू 15)
जो बुराई पर लोगों को लगाता है और भलाई से रोकता है वो अपने में मुनाफ़िक़ों वाली अलामत रखता है जैसा के क़ुरआन मजीद में अल्लाह तआला का फ़रमाने आलीशान है:
(तर्जमा) मुनाफ़िक़ मर्द और मुनाफ़िक़ औरतें एक थैली के चट्टे-बट्टे हैं बुराई का हुक्म दें और भलाई से मना करें (पारा 10, रुकू 14)
इस आयते करीमा में बुराई फ़ैलाने वाले और भलाई रोकने वाले को मुनाफ़िक़ बताया गया लिहाज़ा वो लोग सबक़ हासिल करें जो गुनाह करने वाले लोगों को ख़ामोशी से देखते रहते हैं बल्के ख़ुश होते हैं। और जो बुरे काम करने वाले लोगों को रोके तो उसको रोकते हैं कहते हैं किसी को बुरा मत कहो जो जैसा करे करने दो,
मअज़ अल्लाह
अमीरुल मोमिनीन हज़रत सय्यिदुना अली करमुल्लाहू तआला वजहुल करीम फ़रमाते हैं के
अम्र बिल मअरूफ़ और नहीउन अनिल मुन्कर (यानी भलाई का हुक्म देना और बुराई से रोकना) बेहतरीन अमल है और फ़ासिक़ को जलाने वाला है, पस अम्र बिल मअरूफ़ करने वाला मोमिन की पुस्त पनाही करता है और नहीउन अनिल मुन्कर करने वाला मुनाफ़िक़ को ज़लील करता है,
और फ़रमाते हैं:
लोगों पर एक वक़्त आएगा के इसमें बुराई को बुराई कहने वाले तमाम लोगों के दसवें (10, वें) हिस्से से भी कम होंगे, इसके बाद ये दसवां हिस्सा भी चला जाएगा तो फिर कोई बुराई को बुराई कहने वाला ना रहेगा (तम्बीहुल मुग़्तर्रीन)
हज़रत सय्यिदुना अनस बिन मालिक रज़िअल्लाहू तआला अन्ह फ़रमाते हैं:
जो कोई सुने के फ़ुलां शख़्स फ़ैएले बद (बुरे काम) का मुर्तकिब हुआ और फिर बवुजूदे क़ुदरत वो उसे ना रोके तो क़ियामत के रोज़ वो कटे हुए कानो वाला बहरा होगा (तम्बीहुल मुग़्तर्रीन)
हज़रत जरीर बिन अब्दुल्लाह रहमातुल्लाह अलैह फ़रमाते हैं:
किसी क़ौम में ज़ी’इज़्ज़त लोग अगर बुराई को ना रोकें जिसपर वो क़ुदरत रखते हों तो अल्लाह तआला उनको ज़लील कर देता है (तम्बीहुल मुग़्तर्रीन)
इन्शा अल्लाहुर्रहमान
पोस्ट जारी रहेगी………