धार्मिक

आज देखा जायेगा माह-ए-मुहर्रम का चांद, शुरु होगा नया इस्लामी साल

गोरखपुर। माह-ए-मुहर्रम का चांद सोमवार 9 अगस्त की शाम देखा जायेगा। अगर चांद नज़र आ गया तो माह-ए-मुहर्रम 10 अगस्त से शुरु होगा और यौमे आशूरा (10 मुहर्रम) 19 अगस्त को पड़ेगी। वहीं अगर चांद नहीं दिखा तो माह-ए-मुहर्रम 11 अगस्त से शुरु होगा और यौमे आशूरा 20 अगस्त को पड़ेगी। माह-ए-मुहर्रम का चांद होते ही नए इस्लामी साल का आगाज़ हो जाएगा। इसी के साथ 1443 हिजरी शुरु हो जाएगी। माह-ए-मुहर्रम के चांद का ऐलान तंजीम उलेमा-ए-अहले सुन्नत की चांद कमेटी करेगी।

उलेमा-ए-किराम ने की अपील : शासन की गाइडलाइन का करें पालन

माह-ए-मुहर्रम के मद्देनज़र उलेमा-ए-किराम सभी से शासन की गाइडलाइन का पालन करने की अपील कर रहे हैं।

गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर के इमाम मौलाना मोहम्मद अहमद निज़ामी ने कहा कि हज़रत सैयदना इमाम हुसैन ने मैदान-ए-कर्बला में अपनी और अपने भूखे प्यासे बच्चों, जानिसारों की क़ुर्बानी पेश करके दुनिया को यही पैग़ाम दिया है कि यजीद जैसे बातिल के सामने कभी झुकना नहीं, जो गलत है उसे गलत कहना चाहिए। माह-ए-मुहर्रम के मौके पर शासन की गाइडलाइन पर अमल करें। मस्जिद व घरों में इसाले सवाब करें। ग़रीब व जरूरतमंदों की मदद करें। इबादत करें। रोजा रखें। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत करें। हर खुराफात से दूर रहें।

मुफ़्ती मोहम्मद अज़हर शम्सी (नायब काजी) ने कहा कि इमाम हुसैन ने जो बेमिसाल क़ुर्बानी पेश की जमीनों-आसमान ने ऐसे मंज़र नहीं देखे होंगे। कयामत तक ऐसी नज़ीर नहीं मिल पाएगी कि बेटों, भाईयों, भांजो, दोस्तों की लाशें बगैर कफ़न खून में लथपथ पड़ी हो और काफिला सालार की पेशानी पर शिकन तक न हो और जुबान पर एक सदा हो मेरे अल्लाह इस हक व बातिल की लड़ाई में अगर तू इसी हाल पर राजी है तो तेरे नबी का नवासा भी इसी में राजी है। मुहर्रम हमें सब्र का पैग़ाम देता है लिहाजा शरीअत के दायरे में रह कर इसाले सवाब करें। क़ुरआन ख़्वानी, फातिहा ख़्वानी व दुआ ख़्वानी करें। शासन की गाइडलाइन का पालन करें। खुराफात से दूर रहें। एक दूसरे की मदद करें। ग़रीबों को खाना खिलाएं। पेड़ लगाएं।

तंजीम दावत-उस-सुन्नाह के सदर कारी मोहम्मद अनस रज़वी ने क़र्बला की जंग पर कहा कि जिन हालात में हज़रत इमाम हुसैन व उनके साथियों ने मुकाबला किया अगर रुस्तमे वक्त होता तो वह भी लरज़ जाता। इमाम हुसैन की अज़मतों को लाखों सलाम जान तो क़ुर्बान कर दी लेकिन रूहे इस्लाम बचा ली। अब यह दीन कयामत तक जारी व सारी रहेगा। लिहाजा मुसलमानों को चाहिए कि वह शरीअत पर अमल करें। इमाम हुसैन के मिशन को आगे बढ़ाएं। इमाम हुसैन के नक्शेक़दम पर चलें। शासन की गाइडलाइन का पालन करते हुए इसाले सवाब की महफिल करें। सभी की मदद करें। घरों व मस्जिदों में महफिल करें। इबादत के जरिए आख़िरत संवारें।

मुफ़्ती अख़्तर हुसैन मन्नानी (मुफ़्ती-ए-शहर) ने कहा कि मुहर्रम का महीना शुरु होने वाला है। ऐसे में मुसलमानों से गुजारिश है कि शोह-दाए-कर्बला के नाम से क़ुरआन ख़्वानी, फातिहा ख़्वानी, इसाले सवाब करें। गरीबों व फकीरों की हाजत पूरी करें, उनको खिलाना-पिलाना सवाब है। शासन की गाइडलाइन का पालन करें। किसी तरह का जुलूस हरगिज न निकालें। शरीअत पर अमल करें। इमाम हुसैन ने हमें पैग़ाम दिया है कि जो बुरा है उसकी बुराई दुनिया के सामने पेश करके बुराई को खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए चाहे जिस चीज़ की क़ुर्बानी देनी पड़े, ताकि दुनिया में जो अच्छी सोसाइटी के ईमानदार लोग हैं वह अमनो-अमान के साथ अपनी ज़िन्दगी गुजार सकें।

सुब्हानिया जामा मस्जिद तकिया कवलदह के इमाम मौलाना जहांगीर अहमद अज़ीज़ी ने कहा कि मुहर्रम बातिल के ऊपर हक की जीत, जुल्मत पर नूर के गालिब आने का महीना है। इमाम हुसैन ने अज़ीम क़ुर्बानी पेश कर बातिल कुव्वतों को करारी शिकस्त दी। इमाम हसन व हुसैन जन्नती जवानों के सरदार हैं। शासन की गाइडलाइन का पालन करते हुए शोह-दाए-कर्बला की बारगाह में खिराजे अकीदत पेश करें। हर तरह की खुराफात से दूर रहें। इमाम हुसैन के बताए हुए रास्ते पर चलकर आखिरत संवारें। शरीअत पर मुस्तैदी के साथ अमल करें। खूब इसाले सवाब करें।

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