बाराबंकी

बाराबंकी: अंजुमन तहफ़्फ़ुज़-ए-नामूस-ए-सहाबा न.प. बेलहरा के तहत बड़ी मस्जिद प्रांगण में आयोजित दस दिवसीय जलसा

बेलहरा!बाराबंकी(अबू शहमा अंसारी)
अंजुमन तहफ़्फ़ुज़-ए-नामूस-ए-सहाबा न.प. बेलहरा के तहत बड़ी मस्जिद प्रांगण में आयोजित दस दिवसीय जलसा शोहदा-ए-इस्लाम के सातवें दिन शनिवार को संबोधित करते हुए मौलाना कफ़ील अशरफ लखनवी ने कहा कि अल्लाह के नज़दीक शहीद का मक़ाम व मर्तबा बहुत बुलन्द है , जो लोग अल्लाह की राह में शहीद कर दिए गये तुम उनको मुर्दा मत समझो वह सब ज़िंदा हैं और उनको रिज़्क़ दिया जाता है, कुरआन कहता है कि शहीद कभी मरता नही।
हज़रत इमाम हुसैन रज़ि. ने कर्बला में अपनी शहादत देकर इंसानियत को एक पैग़ाम दिया कि हक़ के लिए हम अपनी जान भी दे सकते हैं। हम सबको हज़रत हुसैन के बताए हुए रास्ते पर चलने की ज़रूरत है, जो काम हुसैन ने किया है अगर हम भी वही करेंगे तो हम उनके साथ होगें। मौलाना ने कहा कि बेजा खुराफात और रस्म का नाम इस्लाम नहीं है बल्कि दूसरों के साथ भलाई,नेकी करने का नाम इस्लाम है। नबी स.अ. ने अपनी उम्मत को एक पैग़ाम दिया हैं कि तुम सच्चे और नेक इंसान बनो,अपने बड़ों बुज़ुर्गों का सम्मान करो और सच्चाई पर क़ायम रहो। उन्होंने कहा कि आज समाज में शिक्षा की बहुत जरूरत है,तमाम बुराइयाँ अशिक्षित होने की वहज से फैल रही हैं, हम तालीम हासिल करके आगे बढ़े और अपने देश, समाज की सेवा करें,अपने वतन से मोहब्बत रखें यही इस्लाम का असल पैग़ाम है। जलसे की अध्यक्षता क़ारी मोहम्मद रफ़ीक़ नदवी व संचालन मौलाना बिलाल नदवी ने किया। इस मौके पर महिलाओं सहित काफ़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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