गोरखपुर

मदरसा हुसैनिया में शोह-दाए-कर्बला पर हुई संगोष्ठी, खिलाया गया लंगर

गोरखपुर। मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाज़ार में आठवीं मुहर्रम को ‘शोह-दाए-कर्बला’ की याद में कुरआन ख्वानी, फातिहा ख्वानी व संगोष्ठी हुई।

मुख्य वक्ता मुफ्ती-ए-शहर अख़्तर हुसैन व मौलाना रियाजुद्दीन क़ादरी ने कहा कि हज़रत सैयदना इमाम हुसैन 3 जिलहिज्जा सन् 60 हिजरी को अपने अहले बैत व जांनिसारों को साथ लेकर मक्का शरीफ़ से इराक की तरफ रवाना हो गए। सन् 61 हिजरी मुताबिक का आगाज़ हो चुका था। सन् 61 हिजरी मुहर्रम की 2 तारीख़ के दिन कर्बला पहुंचे। सातवीं मुहर्रम को कर्बला के मैदान में जालिम यजीद की फौज ने इमाम हुसैन और उनके साथियों पर पानी की आपूर्ति बंद कर दी थी ताकि वो शासक जालिम यजीद की मातहती स्वीकार कर लें मगर इमाम हुसैन और उनके साथियों ने ऐसा करने से इंकार कर दिया। नहरे फुरात पर यजीदी फौजियों को लगा दिया गया, ताकि हज़रत इमाम हुसैन का काफिला पानी न पी सके। तीन दिन का भूखा प्यासा रखकर इमाम हुसैन व उनके साथियों को कर्बला की तपती ज़मीन पर शहीद कर दिया गया। इमाम हुसैन व उनके साथियों ने अज़ीम कुर्बानी पेश कर दीन-ए-इस्लाम को बचा लिया।‌

अंत में लंगर-ए-हुसैन पर फातिहा पढ़ी गई। सलातो-सलाम पढ़कर दुआ ख्वानी हुई। अकीदतमंदों ने मिलकर लंगर खाया। कार्यक्रम में संयोजक हाफ़िज़ महमूद रज़ा कादरी, प्रधानाचार्य हाफिज नजरे आलम, हाफिज रहमत अली निजामी, मो. आजम, नवेद आलम, कारी सरफुद्दीन, निसार अहमद, मो. इदरीस, मो. कासिम, मो. इस्हाक़, अबू अहमद, कारी अनीस, रेयाज़ अहमद, मो. नसीम खान सहित शिक्षक व छात्रों ने शिरकत की।

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