ऐतिहासिक जीवन चरित्र

आज के दिन जब औरंगज़ेब बने थे 6 वें मुग़ल बादशाह, खूब सुनहरा था कार्यकाल

मुराद जेल में था, शाहजहां क़ैद में था और दारा भगोड़ा साबित हो चुका था ऐसे में औरंगजेब ने 31 जुलाई 1658 के दिन दिल्ली के शालीमार बाग में अपनी पहली ताजपोशी कराई और ‘आलमगीर का लक़ब इख्तियार किया।

मुग़ल रिवाजों के मुताबिक औरंगज़ेब ने उस रोज़ साज़ बजवाए, तोहफ़े बांटे मगर जुमे के दिन आलमगीर नाम से खुतबा पढ़वाने और अपने नाम के सिक्के ढलवाने से मना कर दिया। ताजपोशी का यह जश्न बहुत छोटा ज़रूर था, मगर इसने औरंगजेब की हुकूमत की पहली ईंट रखी थी।

इस ताजपोशी के बाद औरंगज़ेब ने आज़ाद पंछियों की तरह फिर रहे अपने दोनों भाइयों (दारा और शाह शुजा) की ताक़त को बेअसर करने के लिए कदम बढ़ाया।

पहले औरंगज़ेब ने शाह शुजा को 1659 में इलाहाबाद के उत्तर में “खजवा नामी जगह पर जंग में शिकस्त दी और 1660 था शुजा को उसके पुरे कुंबे समेत हिंदुस्तान छोड़ने पर मजबूर कर दिया।

शुजा को शिकस्त देने के बाद औरंगज़ेब ने 15 जून 1659 को दिल्ली में अपनी दूसरी ताजपोशी का जश्न मनाया। खुद को मुगल सल्तनत का बादशाह ऐलान करने के तक़रीबन एक साल बाद, इस बार जश्न का रंग अलग ही था। मुगलों की रईसी का दिखावा करते हुए खूब फिजूलखर्ची हुई।

गुलूकारों की मंडलियों ने औरंगज़ेब की शान में कसीदे गाए. मौसीक़ीकारों को तोहफों में जवाहरात से भरे थाल हासिल हुए और इस जश्न में इतना बेहिसाब कपड़ा इस्तेमाल हुआ कि मंदी झेल रहे व्यापारी भी बेइंतहां मुनाफ़े से लहलहा उठे. इस बार सिक्के भी ढाले गए और औरंगज़ेब आलमगीर के नाम से ख़ुत्बे भी पढ़े गए।

औरंगज़ेब अब चालीस बरस के हो चुके थे। सियासी ताक़त हासिल करने के बाद अब वो अपने तख़्त के पाए को मजबूत करने में जुट गए।

1659 की गर्मियों में औरंगज़ेब ने कैदी बन कर दिल्ली पहुंचे दारा को अपने रस्ते से हटाया। उसके कुछ साल बाद “औरंगज़ेब ने मुराद को किसी क़त्ल का बदला लेने के एवज में क़त्ल करवा दिया। अब औरंगज़ेब के सामने बादशाहत का कोई दूसरा उम्मीदवार बाकि न था। सल्तनत में पूरी तरह से अमनो-अमान कायम था।

अब औरंगज़ेब ने एक के बाद एक इलाके को फतह कर अपनी सल्तनत में मिलाना शुरू कर दिया। उन्होंने ने समूचे दक्कन भर को अपने झंडे तले ला खड़ा किया। उन्होंने जनूब में 4 मिलियन वर्ग किलोमीटर तक सल्तनत को फैलाया और 1690 में 450 मिलियन डॉलर के वार्षिक राजस्व के साथ 150-158 मिलियन से अधिक की आबादी पर हुक्मरानी की। उनके दौर-ए-हुकमत के दौरान, हिंदुस्तान चीन के किंग सल्तनत को पीछे छोड़ दुनिया की सबसे बड़ी मायिशत (Economy) बन गया था। जिसकी कीमत 90 बिलियन डॉलर से अधिक थी, जो सन 1700 में दुनिया की जीडीपी का लगभग एक चौथाई (25%) था।

समाचार अपडेट प्राप्त करने हेतु हमारा व्हाट्सएप्प ग्रूप ज्वाइन करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *