जावेद शाह खजराना (लेखक)
दुनिया में सिर्फ 4 लोग गुजरे हैं । जिन्होंने सारी दुनिया में हुकूमत की। इनमें से 2 मोमीन और 2 काफिर बादशाह थे। 2 काफिर बादशाह नमरूद और बख्ते_नसर थे । ये दोनों इराक के बाबुल शहर के हुक्मरान थे।
करीब 5000 साल पहले की बात है। हजरत नूह अलैही0 के बेटे साम की औलाद कनआन का नमरूद नामी बेटा ईराक के बाबूल शहर में हुकूमत कर रहा था।
नमरूद ही सबसे पहला बादशाह था जिसकी हुकूमत सारी दुनिया पर कायम थी । नमरूद ही पहला शख्स है , जिसने सर पर ताज रखा। उससे पहले किसी हुक्मरान ने सर पर ताज नहीं सजाया था।
नमरूद के महल और राजधानी बाबुल में ढ़ेरों बुत थे।जिसमें नमरूद का बुत सबसे ऊंचा और आलीशान था बाकी देवी_देवताओं की मूर्तियां छोटी थी। इसका मतलब वो खुद को सबका खुदा मानता था।
हजरत इब्राहिम अलैहि0 जिनकी याद में हम कुर्बानी करते है। उन्होंने नमरूद को ईमान की दावत दी। नमरूद को बहुत समझाया। उल्टा उसने आपको आग में डलवा दिया। हजरत इब्राहिम अलैही0 आग में भी ना जले । ये मौज्जा देखकर भी बाबुल की गुमराह कौम और बदबख्त नमरूद ईमान ना ला सके।
इस हादसे के बाद इब्राहिम अलैही0 ने बाबुल शहर छौड़ दिया। अपने भतीजे लूत अलैही0 , बीवी सारा के साथ मिश्र हिजरत कर गए।
सरकश नमरूद ने सोचा सारी दुनिया में तो मेरी हुकूमत है क्यों ना अल्लाह से जंग करके आसमान पर भी कब्जा किया जाए। नमरूद ने बाबुल शहर के बाहर आसमान से बातें करती एक बहुत ऊंची मीनार तामीर करवाई और माज_अल्लाह रब्बूल आलमीन को जंग के लिए ललकारा। अल्लाह हर किसी से गुफ्तगू थोड़ी ना करता है।
नमरूद ने लोगों को भड़काया देखो मेरे ललकारने पर भी खुदा ने जंग नहीं की लिहाजा मैं ही खुदा हूं।
ये देखकर बाबुल की आवाम नमरूद को खुदा मानकर सजदा करने लगी।
जंग के लिए ललकारने पर अल्लाह ने नमरूद के महल में फरिश्ते को नसीहत के लिए भेजा। जालिम नमरूद ने नसीहत पर कान ना धरे उल्टा घमंड में आकर अल्लाह और फरिश्तों से जंग का एलान करने लगा। फरिश्ते ने उसे 3 दिन की मोहलत दी ताकि नमरूद जंगी साजो_सामान इकट्ठा कर सके।
3 दिन बाद नमरूद जो सारी दुनिया का बादशाह था । दुनिया के कोने_कोने से फौजें इकट्ठा करके मैदान में आ डटा।
अल्लाह ऐसे जालिमों से बदले लेने को लिए जो घमंडी और सरकश होते हैं। अपने ताकतवर फरिश्तों को नहीं भेजता बल्कि अपनी सबसे कमजोर शय को भेजता है ताकि घमंडी का घमंड चूर_चुर हो सके। लिहाजा अल्लाह ने नमरूद के लश्कर का सामना करने के लिए मच्छरों की फ़ौज भेज दी।
करोड़ों अरबों मच्छरों ने चंद घंटों में नमरूद की तमाम फ़ौज का सारा खून चूस लिया ।जिस्म में गोश्त भी बाकी ना छोड़ा। नमरूद की सारी फौज मच्छरों के हमले से मारी गई। मच्छरों में से एक लंगड़े मच्छर को अल्लाह ने हुक्म दिया की जाओ नमरूद की नाक के रास्ते उसके दिमाग में दाखिल हो जाओ।
अल्लाह के हुक्म से लंगड़ा मच्छर नमरूद के दिमाग में घुस गया। लंगड़े मच्छर ने नमरूद के दिमाग की नसों में ठिकाना बना लिया। मच्छर के काटने से घमंडी नमरूद का सर दर्द से फटने लगता वो दरबारियों और नौकरों से अपने सर पर जूते पिटवाता ताकि उसे सरदर्द में राहत मिले। इस तरह बाबुल के भगवान की उसी के दरबार में सरेआम पिटाई होती थी।
सर पर जूते खातेखाते नमरूद को जमाना गुजर गया और लंगड़े मच्छर ने उसका जीना हराम कर दिया। आख़िर एक दिन दिमाग की नस फटने से इस काफिर और घमंडी बादशाह का हमेशाहमेशा के लिए खात्मा हो गया जो खुद को खुदा मानता था। जिसे अल्लाह ने सिर्फ एक मामूली लंगड़े मच्छर से मरवा दिया।
अल्लाह जब किसी को हुकूमत देता है तो उसे आवाम का ख्याल रखना चाहिए। उन्हें गुमराही में नहीं डालना चाहिए। हुक्मरान हुकूमत मिलने पर सरकशी और घमंड ना करें। वर्ना अल्लाह ऐसे सरकश और घमंडी को चाहे वो सारी दुनिया का सबसे ताकतवर हुक्मरान ही क्यों ना हो एक मामूली और हकीर मच्छर से भी मरवा सकता है।
बहुत बढ़िया