आज के दिन ही, 19 जुलाई 1223 ई. को ममलूक सुल्तान बायबर्स की दश्त-ए किपचाक (गोल्डन होर्ड) के इलाके में पैदाइश हुई थी। सुल्तान बायबर्स को उनकी बहादुरी और जेहानत के लिए याद किया जाता है। जिस दौर में मंगोलो के डर से सारे आलम में दहशत कायम थी उसी दौर में उन्होंने फिलिस्तीन में ऐन जालूत के मक़ाम पर मंगोलो को एक खौफनाक शिकस्त से दोचार किया था। इस जंग में मामलूकों ने हलाकू खान का ये घमंड तोड़ा था की उसे और उसकी फौज को कोई हरा नहीं सकता। उस जंग में बायबर्स ने सुल्तान सैफुद्दीन कुतुज की फौज के सिपहसालार थे। उनकी बहादुरी और शुजाअत की वजह से मंगोलों की बढ़ती हुयी पेशकदमी रुक गयी थी।
जिसकी वजह से मुस्लिम दुनिया मंगोलो के मुकम्मल खतरे से बच गयी। वास्तव में ऐन जालूत के मक़ाम पर लड़ी गयी जंग बद्र की लड़ाई के बाद मुसलमानों द्वारा लड़ी गई सबसे फैसलाकुन जंगों में से एक थी क्योंकि ऐन जालुत में शिकस्त का मतलब था मक्का और मदीना सहित मिस्र और हिजाज़ पर मंगोलों का कब्ज़ा।
ममलूकों की मंगोलों पर इस फतह ने मंगोलो की एक एक बाद एक होती फतह पर लगाम लगा दिया। इस लड़ाई के बाद मंगोल कमजोर पड़ गए। ईरान और सेंट्रल एशिया के हिस्सों से बहुत से मंगोल लीडरों ने इस्लाम कुबूल कर लिया। और तमाम इलाकों को जो उन्होंने मुसलमानों से फतह किये थे। मुस्लिम हुक्मरान के तहत बहाल कर दिया।