गोरखपुर मसाइल-ए-दीनीया

औरतों पर ईद की नमाज़ वाजिब नहीं: उलमा-ए-किराम

गोरखपुर। उलमा-ए-अहले सुन्नत द्वारा जारी रमज़ान हेल्पलाइन नंबरों पर शुक्रवार को सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। लोगों ने ईद, नमाज़, रोज़ा, जकात, फित्रा आदि के बारे में सवाल किए। उलमा-ए-किराम ने क़ुरआन व हदीस की रोशनी में जवाब दिया। इन नम्बरों पर आप भी सवाल कर जवाब हासिल कर सकते हैं 9956971232, 8604887862, 9598348521, 73880 95737, 82493 33347, 8896678117, 8563077292, 9956049501, 9956971041, 77549 59739, 9555591541

सवाल : फोम, कालीन, कम्बल वगैरा पर सजदा करना कैसा है? (तौहीद, तुर्कमानपुर)
जवाब : नर्म फर्श मसलन कालीन, कम्बल, फोम वगैरा पर सजदा करना उस वक्त जायज है जब उस पर नाक और पेशानी खूब अच्छी तरीके से जम जाये यानी इतना दब जाये कि अब दबाने से न दबे वरना नहीं और जब सजदा नहीं होगा तो नमाज़ भी नहीं होगी क्योंकि सजदा फराइजे नमाज़ से है। (मुफ्ती मो. अजहर शम्सी)

सवाल : औरतों पर ईद की नमाज़ पढ़ने का क्या हुक्म है? (तनवीर, जाफ़रा बाजार)
जवाब : ईद की नमाज़ मर्दों पर वाजिब है। औरतों पर ईद की नमाज़ वाजिब नहीं। (मुफ्ती मेराज अहमद क़ादरी)

सवाल : अगर सूरह फातिहा पढ़ने के बाद सूरत मिलाना भूल जाए और रुकू में याद याद आए तो क्या करें? (तौसीफ, रहमतनगर)
जवाब : अगर सूरत मिलाना भूल जाए फिर रुकू में याद आए तो खड़ा हो जाए और सूरत मिलाए फिर रुकू करे और आख़िर में सजदा-ए-सह्व करे। (मुफ्ती अख़्तर हुसैन मन्नानी)

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