- सरकारी अस्पताल के लिए उपलब्ध निःशुल्क 108 एंबुलेंस की सुविधा की दें जानकारी
- विशेष संचार रोग नियंत्रण और दस्तक अभियान के संबंध में जिला स्तरीय अन्तर्विभागीय बैठक सम्पन्न
गोरखपुर, 27 सितम्बर 2022
जिले के हर नागरिक को यह संदेश दिया जाए कि बुखार कैसा भी हो अस्पताल जाकर चिकित्सक से ही इलाज कराएं। सभी सरकारी अस्पतालों पर बुखार का इलाज निःशुल्क है । सरकारी अस्पताल जाने के लिए 108 नंबर डॉयल करके निःशुल्क सुविधा का लाभ उठाया जाए। हाई ग्रेड फीवर के इलाज के लिए सभी ब्लॉक स्तरीय अस्पतालों पर अर्ली ट्रिटमेंट सेंटर (ईटीसी) की व्यवस्था है और सबसे पहले इन्हीं केंद्रों पर तेज बुखार के मरीज को ले जाने का संदेश दिया जाए। बुखार का इलाज जल्दी शुरू होने से व्यक्ति जल्द स्वस्थ होगा। यह दिशा-निर्देश मुख्य विकास अधिकारी संजय कुमार मीणा ने जिला स्तरीय अन्तर्विभागीय बैठक में दिये। अक्टूबर में प्रस्तावित विशेष संचारी रोग नियंत्रण और दस्तक अभियान के संबंध में यह बैठक विकास भवन सभागार में मंगलवार को हुई।
सीडीओ ने अभियान से संबंधित विभागों से अपील की कि समन्वय बना कर कार्य करें और हाई रिस्क एरिया (एचआरए) में फोकस्ड अभियान चलाने का प्रयास करें । दस्तक अभियान के दौरान आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता साथ-साथ जाएं। स्क्रबटाइफस को देखते हुए लोगों को प्रेरित किया जाए कि वह नंगे पैर झाड़ियों में न तो खुद जाएं और न ही बच्चों को जाने दें। झाड़ियों की साफ-सफाई कराई जाए । चूहा और छछूंदर से बचाव के उपाय किये जाएं। बरसात को देखते हुए नालियों की नियमित सफाई हो और जिन इलाकों में स्वच्छ टैप वाटर की सुविधा हो वहां लोग हैंडपंप का इस्तेमाल न करें। युद्धस्तर पर झाड़ियों की साफ-सफाई की जाए । विद्यालयों में वीडियो संदेश के जरिये बच्चों को संचारी रोगों के प्रति जागरूक किया जाए। गांवों से निकलने वाले डेंगू के मामलों को देखते हुए वहां साफ पानी के जलजमाव को नियंत्रित किया जाए और खासतौर से पशुओं के नाद में साफ पानी इकट्ठा नहीं होने देना है।
अभियान के नोडल स्वास्थ्य विभाग के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि एक से 31 अक्टूबर तक विशेष संचारी रोग नियंत्रण माह चलेगा, जबकि सात से 21 अक्टूबर तक दस्तक पखवाड़ा चलाया जाएगा। एक माह के अभियान में कुल 12 विभाग मिलकर संचारी रोगों के प्रति जनजागरूकता फैलाएंगे और विभागीय कार्यवाही भी करेंगे। दस्तक अभियान के दौरान आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की टीम घर-घर जाकर बुखार के रोगियों को अस्पताल जाने के लिए प्रेरित करेंगी । कुपोषित बच्चे चिन्हांकित किये जाएंगे और टीबी मरीज भी खोजे जाएंगे। उल्टी दस्त की दवा और क्लोरीन का टैबलेट बांटेंगी व मच्छरों के प्रजनन स्रोत वाले स्थानों को चिन्हित कर सूचित करेंगी ।
बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी हेमंत सिंह, जिला पंचायती राज अधिकारी हिमांशु शेखर, मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मुकेश रस्तोगी, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकार डॉ एके चौधरी, जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह, जेई एईएस कंसल्टेंट डॉ सिद्धेश्वरी, डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ अंकुर सांगवान, यूनिसेफ के डीएमएसी डॉ हसन फहीम, नीलम यादव, पाथ संस्था के प्रतिनिधि डॉ राहुल कांबले, अभिनय कुशवाहा, सीफार प्रतिनिधि वेद प्रकाश पाठक समेत विभिन्न विभागों के प्रतिनिधि मौजूद रहे ।
दिख रहा है अभियान का असर
जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने बताया कि पिछले वर्ष जहां अब तक एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के 139 मरीज मिले थे वहीं इस बार यह संख्या मात्र 41 है । इसके पीछे पिछले दो चरण में चले अभियान की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसी समयावधि तक एईएस से 10 मौतें हुई थीं जो इस बार शून्य है । पिछले साल जहां 42 फीसदी लोग सीधे बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए गये थे, वहीं इस साल महाज 18 से 20 फीसदी लोग ही सीधे मेडिकल कॉलेज पहुंचे हैं, बाकी लोगों ने ईटीसी या फिर जिला अस्पताल से ही इलाज कराया है । देर से हुई बरसात को देखते हुए इस बार का अभियान काफी महत्वपूर्ण है ।
चूहा और छछूंदर के प्रति करेंगे जागरूक
बैठक में पहुंचे जिला कृषि रक्षा अधिकारी डॉ आरडी वर्मा ने बताया कि कृषि विभाग की भूमिका पूरे माह जनजागरूकता की होती है । हमारे 191 न्याय पंचायतों में तैनात प्राविधिक सहायक गांव-गांव में बैठकें कर लोगों को चूहा और छछूंदर से बचाव के प्रति जागरूक करते हैं । स्क्रबटाफस से बचाव में इस जागरूकता की अहम भूमिका है ।