मसाइले रोज़ा
मसअला- दूसरे का थूक निगल गया या अपना ही थूक हाथ पर लेकर निगल गया रोज़ा जाता रहा यानि टूट जायेगा।
📕बहारे शरीअत जिल्द,1 हिस्सा 5
मसअला- मुंह से खून निकला और हलक़ से उतरा तो अगर मज़ा महसूस हुआ तो रोज़ा टूट गया और अगर खून कम था या मज़ा महसूस ना हुआ तो नहीं टूटा।
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 5,सफह 116
मसअला- मुंह में रंगीन डोरा रखा जिस से थूक रंगीन हो गया फिर थूक निगल लिया रोज़ा जाता रहा।
📕बहारे शरीअत हिस्सा 5 सफह 117
मसअला- डोरा बट रहा था बार बार तर करने के लिए मुंह से गुज़ारा तो अगर उसकी रंगत या मज़ा महसूस ना हुआ तो रोज़ा नहीं गया लेकिन डोरे की रतूबत अगर थूक के ज़रिये निगला तो रोज़ा टूट गया।
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 5,सफह 117
मसअला- ये गुमान था कि अभी सुबह नहीं हुई और खाया पिया या जिमअ किया और बाद को मालूम हुआ कि सुबह हो चुकी थी या किसी ने जबरन खिलाया तो इन सूरतों में सिर्फ क़ज़ा है कफ़्फ़ारह नहीं।
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 5,सफह 118
मसअला- भूल कर खाया पिया या जिमअ किया या ख्याल से ही इंज़ाल हो गया या नाइटफॉल हुआ या बिला क़स्द उलटी हुई तो इन सूरतों में रोज़ा नहीं टूटता।
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 5,सफह 118
मसअला- अगर किसी का रोज़ा गलती से टूट जाए तो फिर भी उसे मग़रिब तक कुछ भी खाना पीना जायज़ नहीं है पूरा दिन मिस्ल रोज़े के ही गुज़ारना वाजिब है युंही जो शख्स रमज़ान में खुले आम खाये पिये हुक्म है कि उसे क़त्ल किया जाये।
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 5,सफह 118/119
मसअला- रोज़ेदार वुज़ू में कुल्ली करने और नाक में पानी चढ़ाने में मुबालग़ा ना करे।
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 5,सफह 126
मतलब ये कि इतना पानी मुंह में ना भर ले कि हलक़ तक पहुंच जाये या नाक में इतना ना चढ़ाये कि दिमाग़ तक पहुंच जाये वरना रोज़ा टूट जायेगा।
मसअला- सहरी खाने में देर करना मुस्तहब है मगर इतनी देर ना करें कि वक़्ते सहर ही खत्म हो जाये युंही अफ्तार में जल्दी करना भी मुस्तहब है मगर इतनी जल्दी भी ना हो कि सूरज ही ग़ुरूब ना हुआ हो।
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 5,सफह 126
कुछ लोग अज़ान को ही खत्मे सहर समझते हैं ये उनकी गलत फहमी है मसलन आज बाराबंकी,यू,पी, में खत्मे सहर 4:10 मिनट तक था तो कम से कम एहतियातन 5 मिनट पहले यानि 4:05 पर ही खाना पीना छोड़ दें,अगर खत्मे सहर के बाद अगर एक बूंद पानी या एक दाना भी मुंह में डाला तो रोज़ा शुरू ही नहीं होगा अगर चे अभी अज़ान हुई हो या न हुई हो अगर चे वो नियत भी करले और दिन भर मिस्ल रोज़ा भूखा प्यासा भी रहे लिहाज़ा वक्त का ख़्याल रखें।
मसअला- मिस्वाक करना सुन्नत है अगर चे खुश्क हो या पानी से तर हो अगर चे हलक़ में उसकी कड़वाहट महसूस भी होती हो।
📚 बहारे शरीयत,हिस्सा 5,सफह 125
मस्अला- रोज़े की ह़ालत में अनार और बांस की लकड़ी के अलावा हर कड़वी लकड़ी की ही मिस्वाक बेहतर है।
📚रद्दुल मुह़तार जिल्द 1 सफह 235
मसअला- रोज़े की हालत में मियां बीवी का एक दूसरे के बदन को छूना चूमना गले लगाना मकरूह है अगर बगैर सोहबत किये भी इंज़ाल हुआ तो रोज़ा टूट जायेगा और सोहबत की तो कफ्फारह वाजिब।
📚 बहारे शरीयत,हिस्सा 5,सफह 125
मसअला- अफ्तार के वक़्त जो दुआ पढ़ी जाती है वो एक दो लुक़्मा खाने बाद ही पढ़ी जाये बिस्मिल्लाह शरीफ के साथ रोज़ा खोलें फिर दुआ पढ़ें।
📚 फतावा रज़वियह,जिल्द 1,सफह 13
मस्अला- इफ्तार करने की दुआ इफ्तार के बाद पढ़ना सुन्नत है इफ्तार से पहले नहीं।
📚फ़तावा रज़विया शरीफ़ जिल्द 4 सफह 651
मस्अला- रमज़ानुल मुबारक की रातों में बीवी से हम्बिस्तरी करना जायज़ है।
📚पारा 2 सूरह बक़रा आयत 187 रुकू 7
मसअला- शरई उज़्र की वजह से रोज़ा ना रखने की इजाज़त है बाद रमज़ान रोज़ों की कज़ा करे,ये शरई उज़्र हैं 1. बीमारी 2. सफर 3. औरत को हमल हो या दूध पिलाने की मुद्दत में हो 4. सख्त बुढ़ापा 5. बेहद कमज़ोरी 6. जान जाने का डर।
📚 दुर्रे मुख्तार,जिल्द 2,सफह 115
📚 बहारे शरियत,हिस्सा 5,सफह 130
मसअला- औरत बगैर शौहर के इजाज़त के नफ्ली रोज़ा ना रखे, मगर रमज़ान का रोज़ा या रमज़ान में जो रोज़ा छूट गया था उसकी क़ज़ा रखने के लिए शौहर की इजाज़त की कुछ ज़रुरत नहीं, शौहर के मना करने पर भी औरत रोज़ा रखे।
📚दुर्रे मुख्तार जिल्द 3 सफह 477
📚बहारे शरीअत जिल्द 1 हिस्सा 5
मसअला- एक शख्स की तरफ से दूसरा शख्स रोज़ा नहीं रख सकता।
📚बहारे शरीअत जिल्द 1 हिस्सा 5
मसअला- औरत को जब हैज़ व निफास आगया तो रोज़ा जाता रहा।
📚फतावा हिन्दिया जिल्द,1 सफह 207
मस्अला- हैज़ व निफास वाली औरत के लिए बेहतर है कि दिन में छुप कर खाये पिये रोज़ा की तरह रहना उस पर ज़रुरी नहीं।
📚बहारे शरीअत जिल्द 1 हिस्सा 5
रोज़े के तअल्लुक़ से मोटे मोटे मसायल मैंने बयान कर दिये पूरी मअलूमात के लिए बहारे शरीयत का 5वां हिस्सा पढ़ा जाये।।
والله تعالیٰ اعلم بالصواب
लेखक: क़ारी मुजीबुर्रह़मान क़ादरी शाहसलीमपुरी– बहराइच शरीफ यू०पी०
मदरसा ह़नफिया वारिसुल उलूम क़स्बा बेलहरा ज़िला बाराबंकी यू०पी०