अल्लाह की कुदरत है कि वह हर काम एक बेहतरीन निज़ाम के जरिये करता है जिसको जानने पर बंदे को अपने ईश्वर की महानता का अंदाज़ा होता है।
जैसा कि इस सृष्टि की रचना किस प्रकार हुई उस बारे में अल्लाह ने हमे क़ुरान में बताया:
निस्संदेह तुम्हारा रब वही अल्लाह है, जिसने आकाशों और धरती को छह दिनों में पैदा किया – फिर राजसिंहासन पर विराजमान हुआ। वह रात को दिन पर ढाँकता है जो तेज़ी से उसका पीछा करने में सक्रिय है। और सूर्य, चन्द्रमा और तारे भी बनाए, इस प्रकार कि वे उसके आदेश से काम में लगे हुए है। सावधान रहो, उसी की सृष्टि है और उसी का आदेश है। अल्लाह सारे संसार का रब, बड़ी बरकतवाला है।
(क़ुरान 7:54)
क़ुरान में अल्लाह ने इस सृष्टि की रचना पर बोहत ही आश्चर्यजनक प्रकाश डाला है। और वह बाते 1400 साल पहले बता दी जो विज्ञान 20 वी सदी में जाकर समझ पाया है। और विज्ञान के जानकार यह जान -समझकर, यह मानने पर मजबूर होते हैं कि निश्चय ही क़ुरान अल्लाह का कलाम है।
अंतरिक्ष विज्ञान के विशेषज्ञ सृष्टि की व्याख्या एक ऐसे सूचक (phenomenon) के माध्यम से करते हैं। जिसे व्यापक रूप से Big Bang के रूप में जाना जाता है। Big Bang के अनुसार प्रारम्भ में यह सम्पूर्ण सृष्ठि प्राथमिक रसायन(primary nebula) के रूप में थी फिर एक महान विस्फ़ोट यानि बिग बैंग (secondry separation) हुआ जिस का नतीजा आकाशगंगा के रूप में उभरा, फिर वह आकाश गंगा विभाजित हुआ और उसके टुकड़े सितारों, गृहों, सूर्य, चंद्रमा आदि के अस्तित्व में परिवर्तित हो गए। कायनात, प्रारम्भ में इतनी पृथक और अछूती थी कि संयोग (chance) के आधार पर उसके अस्तित्व में आने की सम्भावना (probability) शून्य थी । पवित्र क़ुरआन सृष्टि की संरचना के संदर्भ से निम्नलिखित आयतों में बताता है।
‘‘क्या वह लोग जिन्होंने ( नबी स.अ.व. की पुष्टि ) से इन्कार कर दिया है ध्यान नहीं करते कि यह सब आकाश और धरती परस्पर मिले हुए थे फिर हम ने उन्हें अलग किया। (क़ुरान 21:30)
इस क़ुरआनी वचन और ‘‘बिग बैंग‘‘ के बीच आश्चर्यजनक समानता से इनकार सम्भव ही नहीं! यह कैसे सम्भव है कि एक किताब जो आज से 1400 वर्ष पहले अरब के रेगिस्तानों में व्यक्त हुई, अपने अन्दर ऐसे असाधारण वैज्ञानिक यथार्थ समाए हुए है?
आकाशगंगा की उत्पत्ति से पूर्व प्रारम्भिक वायुगत रसायन
वैज्ञानिक इस बात पर सहमत हैं कि सृष्टि में आकाशगंगाओं के निर्माण से पहले भी सृष्टि का सारा द्रव्य एक प्रारम्भिक वायुगत रसायन (Gas) की अवस्था में था, सृष्टि के इस प्रारम्भिक द्रव्य के विश्लेषण में गैस से अधिक उपयुक्त शब्द ‘‘धुंआ‘‘ है।
क़ुरआन में सृष्टि की इस अवस्था धुंआ शब्द से रेखांकित हुई है।
“फिर उस ने आकाश की ओर रुख़ किया, जबकि वह मात्र धुआँ था- और उस ने उस से और धरती से कहा, ‘आओ, स्वेच्छा के साथ या अनिच्छा के साथ।’ उन्होंने कहा, ‘हम स्वेच्छा के साथ आए।” (क़ुरान-41:11)
इस तरह सृष्टि कि उतप्पत्ति (बिग बैंग) के अनुकूल है जिसके बारे में पैग़म्बरे इस्लाम स.अ.व. (अंतिम सन्देष्टा) से पहले किसी को कुछ ज्ञान नहीं था । (बिग बैंग 20 वी शताब्दी की खोज है जो पैगम्बर काल से 1300 वर्ष उपरांत है।)
अगर इस युग में कोई भी इसका जानकार नहीं था तो फिर इस ज्ञान का स्रोत क्या हो सकता है|