धार्मिक

रमज़ान के फज़ाइल व मसाइल (3)

हदीस: इमाम अहमद और बैहकी रिवायत करते हैं कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया रोज़ा सिपर(ढाल) है और दोज़ख़ से हिफाज़त का किला इसी के करीब-करीब जाबिर व उस्मान इब्ने अबिलआस व माज़ इन जबल रज़ियल्लाहु तआला से मरवी है !

हदीस: अबू यअला व बैहकी सलमा इबने कैस और अहमद बज्जार अबू हुरेरह रदियल्लाह तआला अन्हमा से रावी कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया जिसने अल्लाह तआला की रजा के लिए एक दिन का रोजा रखा अल्लाह तआला उसको जहन्नम से इतना दूर कर देगा जैसे कि कौआ जब बच्चा था उस वक्त से उड़ता रहा यहाँ तक कि बूढ़ा होकर मरा!

हदीस: अबू यअला व तबरानी अबू हुरैरा रयिल्लाहु तआला अन्हु से रावी कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया अगर किसी ने एक दिन नफ्ल रोजा रखा और जमीन भर उसे सोना दिया जाये जब भी उसका सवाब पूरा न होगा उसका तो सवाब कियामत के दिन मिलेगा !

हदीस: इब्ने माजा अबू हुरैरा रयिल्लाहु तआला अन्हु से रावी कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया हर शय के लिये जकात है और बदन की जकात रोजा है जो रोजा निस्फ़(आधा) सब्र है!
(बहारे शरीअत हिस्सा,5 सफ़ह,70)

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