(बाड़मेर,राजस्थान)……18 दिसम्बर 2021 ईस्वी बरोज़ शनिवार दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ की तअ़लीमी शाख “मदरसा अहले सुन्नत फैज़ाने ग़रीब नवाज़ जामा मस्जिद भभूते की ढाणी ” के वादी-ए- रहमत व अनवार में शान व शौकत और अ़क़ीदत व एहतिराम के साथ “जल्सा-ए-ग़ौषुल वरा” का एहतिमाम किया गया।
जल्से की शुरुआ़त तिलावते कलामे रब्बानी से की गई।
फिर दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ और इस की तअ़लीमी शाख “मदरसा अहले सुन्नत फैज़ाने ग़रीब नवाज़” के तुल्बा ने अपना दीनी व मज़हबी प्रोग्राम (नअ़त,ग़ज़ल[सिंधी मौलूद]मुकालमा व तक़रीर की शकल में) पेश किया।
खुसूसी व सदारती खिताब पीरे तरीक़त रहबरे राहे शरीअ़त नूरुल उ़ल्मा हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी मद्दज़िल्लहुल आ़ली ने किया।
आप ने अपने खिताब के दौरान फरमाया कि “इस्लाम अमन व शांति और मुहब्बत व रवादारी का मज़हब है,इस्लाम का मअ़ना ही अमन व सलामती है,जो लोग भी बिला वज्हे शरई अमन व चैन को बरबाद करते हैं या नाहक़ किसी पर ज़ुल्म व सितम करते हैं वोह सहीह मअ़नों में मोमिन ही नहीं हैं,मज़हबे इस्लाम तो किसी को मअ़मूली तकलीफ देने पर भी साफ अल्फाज़ में बड़ी सख्ती के साथ मना करता है और एैसा करने वालों को सख्त वईद और सज़ा का मुस्तहिक़ क़रार देता है तो वोह किसी का नाहक़ खून बहाने की कैसे इज़ाज़त दे सकता है?अगर कोई इस्लाम का नाम ले कर या इस्लामी लिबास पहन कर एैसी बेहूदा हरकत करता है तो वह उ़स का ज़ाती व प्रसनल अ़मल है,इस्लाम और इस की तअ़लीमात से उस का कोई तअ़ल्लुक़ नहीं है,क्यों कि खुद अल्लाह तआ़ला ने मज़हबे इस्लाम को अमन व सलामती और सुकून व शांति का गहवारा बनाया है,इस की पूरी तारीख व हिस्ट्री अमन व सलामती के अ़मली व प्रेक्टेकली वाक़िआ़त से भरी हुई है,मुआ़हदा-ए-हिल्फुल फुज़ूल हो या सुल्हे हुदैबिया की शरतैं, खुतबा-ए- फतहे मक्का हो या हुज्जतुल वदाअ़ का पैग़ाम,ज़िम्मियों और अहले किताब के साथ अच्छा बरताव हो या क़ैदियों के साथ बेहतर सुलूक…हर जगह अमन, इंसानियत और मुहब्बत की आला मिषाल मिलती है,…खास तौर पर अक़ीदा-ए-तौहीद,एहतिरामे इंसानियत,वहदते इंसानी,इत्तिफाक़ व इत्तिहाद,रवादारी,अखुव्वत व मुसावात और भाई चारगी,जिहाद फी सबीलिल्लाह और अ़दल व इंसाफ, अमन व सलामती के वोह ज़ाहिरी उ़न्वान हैं जिन की वज़ाहत के बाद इस्लाम का तसव्वुरे अमन और मुसलमानों के अमन का निशान होना वाज़ेह हो कर सामने आ जाता है।”
इस साल “मदरसा अहले सुन्नत फैज़ाने ग़रीब नवाज़” में जिन बच्चों ने नाज़रा क़ुरआन मजीद की तअ़लीम मुकम्मल की उन्हें आप (पीर साहब)ने तबर्रुकन क़ुरआने मुक़द्दस की आखिरी चंद सूरतैं और दुआ़-ए- खतमे क़ुरआन पढ़ा कर “खतमे क़ुरआन”के मुबारक रसम को अदा किया,और साथ ही साथ सभी तालिबाने उ़लूमे नबविया व अ़वामे अहले सुन्नत को अपनी मुफीद नसीहतों व दुआ़ओं से नवाज़ा।
इस मज़हबी प्रोग्राम में इन हज़रात ने भी खिताब किया।
★खतीबे हर दिल अ़जीज़ हज़रत मौलाना जमालुद्दीन साहब क़ादरी अनवारी…★हज़रत मौलाना इल्मुद्दीन साहब क़ादरी अनवारी…★मौलाना कबीर अहमद सिकन्दरी अनवारी…
जब कि खुसूसी नअ़त ख्वाँ की हैषियत से वासिफे शाहे हुदा ★हज़रत मौलाना क़ारी मुहम्मद जावेद साहब सिकन्दरी अनवारी व मद्दाहे रसूल हज़रत ★मौलाना मुहम्मद यूनुस अनवारी ने शिरकत की।
इस जल्से में दर्ज ज़ैल हज़रात खुसुसियत के साथ शरीक हुए।
★हज़रत पीर सय्यद ग़ुलाम मुहम्मद शाह बुखारी…★हज़रत पीर सय्यद दावन शाह बुखारी…हज़रत मौलाना मुहम्मद शमीम अहमद साहब नूरी मिस्बाही…★मौलाना शाकिर अ़ली साहब क़ादरी कोनराई…★मौलाना अ़ब्दुल्लाह अनवारी…★मौलाना अ़ली मुहम्मद अनवारी…★मौलाना हाकम अ़ली अनवारी…★मौलाना ग़ुलाम मुहम्मद सिकन्दरी अनवारी,जैसलमेर…★क़ारी अरबाब अ़ली क़ादरी अनवारी…★क़ारी अ़ब्दुल वाहिद सोहर्वर्दी अनवारी वग़ैरह।
निज़ामत की ज़िम्मेदारी हज़रत मौलाना अ़ब्दुस्सुब्हान साहब मिस्बाही ने बहुस्न व खूबी निभाई।
यह जल्सा सलातो सलाम और नूरुल उ़ल्मा हज़रत पीर साहब क़िब्ला की दुआ़ पर इख्तिताम को पहुंचा।
रिपोर्ट: (मौलाना)रोशनुद्दीन अनवारी!
मदरसा अहले सुन्नत फैज़ाने गरीब नवाज़,जामा मस्जिद भभूते की ढाणी,[इलाक़ा:गफन]तह:चौहटन,ज़िला:बाड़मेर(राजस्थान)