गोरखपुर। मंगलवार को मोहल्ला छोटे काजीपुर में लगातार तीसरे दिन ग़ौसिया कमेटी के सदस्यों ने जलसा-ए-ग़ौसुलवरा का आयोजन किया। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत से आगाज़ हुआ। नात-ए-पाक व मनकबत पेश की गई।
मुख्य वक्ता मुफ़्ती मोहम्मद अज़हर शम्सी (नायब क़ाज़ी) ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम में आम इंसानों के हुक़ूक के साथ-साथ वालिदैन के हुक़ूक, मियाँ-बीवी के हुक़ूक़, पड़ोसियों के हुक़ूक़ और मज़दूरों के हुक़ूक़ की अदायगी के लिए ख़ास हिदायात जारी फ़रमाई है। दीन-ए-इस्लाम में यतीमों, बेवाओं और मज़लूमों का ख़ास ख़्याल रखा गया है। यह दुनियावी ज़िन्दगी एक बड़े इम्तिहान की तैयारी के लिए है और आखिरत की ज़िन्दगी में कामयाबी इस फ़ानी ज़िन्दगी के आमाल पर निर्भर है। इंसानियत के नाते दीन-ए-इस्लाम ने हर शख़्स को इज़्ज़त से नवाज़ा है। पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने मुआहिदों (करार) और फ़रमानों के ज़रिए इस तहफ़्फ़ुज़ को कानूनी हैसियत अता कर दी। दीन-ए-इस्लाम में किसी शख़्स को गाली देने या उस पर जुल्म करने या उसका माल नाहक़ लेने या उसको नाहक़ क़त्ल करने से बहुत सख़्ती के साथ मना किया गया है चाहे वह शख़्स किसी भी मज़हब का मानने वाला हो।
अध्यक्षता करते हुए मौलाना मोहम्मद अहमद निज़ामी ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम ने इंसानों के हुक़ूक़ का जितना ख़्याल रखा है उसकी कोई नज़ीर किसी मज़हब में नहीं मिलती। पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि मेरी उम्मत का मुफ़लिस शख़्स वह है जो क़यामत के दिन बहुत सी नमाज़, रोज़ा, ज़कात और दूसरी मक़बूल इबादतें लेकर आएगा, मगर हाल यह होगा कि उसने किसी को गाली दी होगी, किसी का माल खाया होगा, किसी का ख़ून बहाया होगा या किसी को मारा पीटा होगा तो उसकी नेकियों में से एक हक़ वाले को उसके हक़ के बक़द्र नेकियाँ दी जायेंगी। ऐसे ही दूसरे हक़ वाले को उसकी नेकियों में से उसके हक़ के बक़द्र नेकियाँ दी जायेंगी। फिर अगर दूसरों के हुक़ूक़ चुकाये जाने से पहले उसकी सारी नेकियाँ ख़त्म हो जायेंगी तो उन हुक़ूक़ के बक़द्र हक़दारों और मज़लूमों के गुनाह जो उन्होंने किए होंगे उनसे लेकर उस शख़्स पर डाल दिए जायेंगे और फिर उस शख़्स को दोज़ख़ में डाल दिया जाएगा।
अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में भाईचारगी की दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई। जलसे में मोहम्मद नाज़िम, नूर मोहम्मद दानिश, सैयद शहाबुद्दीन, अब्दुर्रहमान, अब्दुल्लाह, सैफ अहमद, तबरेज खान, नोमान, यूसुफ अहमद, अयान, अली हसन, शफीक अहमद, सलमान, कारी उस्मान फुरकानी, कारी मो. शमसुद्दीन, कारी जीशान अहमद, कारी महफूजुर्रहमान आदि ने शिरकत की।