तुर्कमानपुर व लतीफ़नगर कॉलोनी में हुआ जलसा
गोरखपुर। ईद मिलादुन्नबी के सदके में तमाम ईदें मिलीं। रसूल-ए-पाक हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के लिए पूरी दुनिया बनी। आप नूर-ए-खुदा, खैरुल बशर हैं। क़ुरआन में खुदा फरमाता है कि बेशक तुम्हारें पास अल्लाह की तरफ से नूर तशरीफ लाया। रसूल-ए-पाक की नूरानियत से चांद, सूरज, सितारे सारी कायनात रोशन है। रसूल-ए-पाक के सदके पूरी दुनिया को वजूद मिला। रसूल-ए-पाक जब पैदा हुए तो सजदा-ए-खुदावंदी करके अपनी उम्मत को याद फरमाया। आप ही सबसे पहले शफाअत के मनसब पर फाइज होंगे। इतना अज़ीम मर्तबा खुदा ने आपको अता फरमाया।
यह बातें तुर्कमानपुर में आयोजित जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी में बतौर मुख्य अतिथि पीरे तरीक़त अल्लामा मो. हबीबुर्रहमान रज़वी ने कही। वहीं गुलशने रज़ा कमेटी की ओर से लतीफ़नगर कॉलोनी पादरी बाज़ार में रहमते आलम कांफ्रेंस हुई।
जिसमें हाफ़िज़ अब्दुल रहीम ने कहा कि एक पढ़ी लिखी मां की गोद से ही पढ़ी लिखी औलाद समाज को मिल सकती है। मां की गोद बच्चे के लिए सबसे पहला मदरसा है, इसलिए उसका पढ़ा लिखा होना बेहद जरूरी है। किसी दानिश्मंद का कौल है कि एक औरत को तालीम दे देना एक यूनिवर्सिटी खोल देने के बराबर है।
विशिष्ट अतिथि मौलाना मलिकुज्जफ़र अलीमी ने कहा कि मुसलमान अगर तरक्की चाहते हैं तो नमाज़, हज, रोजा व ज़कात की पाबंदी करें। अल्लाह और रसूल-ए-पाक की तालीमात पर मुकम्मल बेदारी के साथ अमल करें। अल्लाह और रसूल-ए-पाक के जिक्र से दिलों को रोशन करें। शरीअत की खिलाफ़ कोई काम न किया जाए। रसूल-ए-पाक की सुन्नतों को अमली तौर पर ज़िन्दगी में अपनाया जाए। मुसलमान सामाजिक बुराईयों से दूर रहें। शादी शरीअत व सादगी के हिसाब से ही की जाए। शादी दीनदारी देख कर की जाए। फिजूल खर्ची बिल्कुल न की जाए। औलाद को चाहिए कि मां-बाप की फरमाबरदारी करके उन्हें राजी करें।purvey
विशिष्ट अतिथि नायब क़ाज़ी मुफ़्ती मोहम्मद अज़हर शम्सी ने कहा कि ईद मिलादुन्नबी मनाना क़ुरआन व हदीस की रोशनी में जायज है। जो इसका इंकार करते हैं उनका दीन-ए-इस्लाम से कोई वास्ता नहीं। रसूल-ए-पाक ने खुद अपना मिलाद मनाया। सहाबा, अहले बैत, ताबईन, औलिया ने भी इसका एहतमाम किया। लिहाजा मुसलमान पूरे साल इस अज़ीम नेमत को मना कर सवाबे अज़ीमा हासिल करें। ईद मिलादुन्नबी की महफिलों व जलसों में अल्लाह का फ़ज़ल बेहिसाब नाज़िल होता है। ईद मिलादुन्नबी अर्श से लेकर फर्श तक सभी मनाते हैं।
अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान की दुआ मांगी गई। जलसे में मौलाना मो. असलम रज़वी, शाबान अहमद, अलाउद्दीन निज़ामी ‘बब्लू’, कारी सफीउल्लाह निज़ामी, मो. सैफ रज़ा निज़ामी, अशरफ़ निज़ामी, इमरान अली निज़ामी, एडवोकेट शुएब अंसारी, इमरान खान, मिनहाज सिद्दीक़ी, जलालुद्दीन क़ादरी, मो. शरीफ़, मौलाना गुलाम जीलानी, अनवर सलीम, नईम अरशद, दानिश रज़ा अशरफ़ी, अनवारुल, सोहेल, नईम खान, गुलरेज, इकबाल वारसी, आफताब, फैसल, निसार, क़ासिम आदि शामिल रहे।