गोरखपुर। जिले के कई सामुदायिक शौचालयों का निर्माण शासन की वेबसाइट पर पूरा दिखा दिया गया। उनकी फोटो भी टैग कर दी गई । धनराशि भी स्वीकृत हो गई, मगर भीतर से कई सामुदायिक शौचालयों के निर्माण अब भी अधूरे हैं। खुद सीडीओ इंद्रजीत सिंह के निरीक्षण में यह खामी पकड़ी है। उन्होंने नाराजगी जताते हुए, जिला स्तरीय अधिकारियों को अलग-अलग दिन सभी ब्लाकों में सामुदायिक शौचालयों के निर्माण का सत्यापन कर रिपोर्ट देने को कहा है।
बृहस्पतिवार से गगहा से सत्यापन कार्य की शुरूआत हो गई। एक फरवरी सत्यापन की आखिरी तारीख तय की गई है। सीडीओ का कहना है कि सत्यापन रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि इस दौरान संबंधित कमियों को पूरा करने का मौका पंचायत सचिवों के पास होगा। यही नहीं, प्रधानों का कार्यकाल भले ही समाप्त हो चुका है, लेकिन वह पूरी तरह से पल्ला नहीं झाड़ सकते। सभी को निरीक्षण के दौरान मौके पर उपस्थित रहना होगा। जिले में 1189 सामुदायिक शौचालयों को बनाने का लक्ष्य है, जिसमें से 1129 को पूर्ण दिखाया जा चुका है।
ये अधिकारी करेंगे सत्यापन
सीडीओ इंद्रजीत सिंह ने जांच करने वाले अधिकारियों की सूची में अपना नाम भी शामिल किया है। इसके अलावा डीपीआरओ , डीआरडीए के परियोजना निदेशक, उपायुक्त मनरेगा, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के उपायुक्त, खंड विकास अधिकारी व सहायक विकास अधिकारी पंचायत का नाम जांच करने वालों में शामिल हैं। ये अधिकारी अकेले या टीम के साथ जांच करने पहुंच सकते हैं। जांच के दौरान संबंधित खंड विकास अधिकारी, सहायक विकास अधिकारी पंचायत, ग्राम पंचायत सचिव एवं तत्कालीन प्रधान उपस्थित रहेंगे। जांच टीम सामुदायिक शौचालयों की गुणवत्ता, पायी गई कमियों, कमियों के लिए दोषी कर्मचारियों के नाम एवं ठीक करने के लिए की गई कार्रवाई का ब्यौरा भी देगी।
कब, किस ब्लॉक में होगी जांच
गगहा में सात जनवरी, बांसगांव में आठ, खजनी में नौ, जंगल कौड़िया में 11, कौड़ीराम में 12, चरगांवा में 13, गोला में 15, ब्रह्मपुर में 16, पिपराइच में 18, उरुवा में 19, सहजनवा में 20, खोराबार में 21, पिपरौली में 22, सरदारनगर में 23, बड़हलगंज में 25, बेलघाट में 27, भरोहिया में 28, कैंपियरगंज में 29, भटहट में 30 जनवरी एवं पाली में एक फरवरी को जांच की जाएगी।
कई सामुदायिक शौचालय अभी भी पूरे नहीं हुए हैं। सत्यापन के लिए अधिकारियों को नामित किया गया है। गगहा से सत्यापन कार्य की शुरूआत हो गई। इस दौरान अंदर या बाहर से अधूरे शौचालयों को पूरा कराने की जिम्मेदारी होगी। जांच में कमियां मिलने पर संबंधित पर कार्रवाई की जाएगी।