गोरखपुर

मदरसा हुसैनिया से निकाला जुलूस-ए-मोहम्मदी

गोरखपुर। मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार से जुलूस-ए-मोहम्मदी निकाला गया। जुलूस अपने निर्धारित मार्ग पर होता हुआ मदरसे पर समाप्त हुआ। जुलूस में लोग इस्लामिक परचम लेकर चल रहे थे। नात-ए-पाक व इस्लामी नारों की सदा बुलंद की जा रही थी। जुलूस समाप्ति के बाद ईद-ए-मिलादुन्नबी की महफिल हुई। जिसमें उलमा-ए-किराम ने पैगंबर-ए-आज़म की ज़िदंगी पर प्रकाश डाला। कहा कि पैग़ंबर-ए-आज़म ने पूरी दुनिया को मानवता, एकता, भाईचारा, अमन का पैग़ाम दिया। पैग़ंबर-ए-आज़म की तालीमात व किरदार की ही देन है कि इस्लाम धर्म सिर्फ 23 साल की तब्लीग (प्रचार प्रसार) से पूरी दुनिया में फैल गया और उनके इंसाफ की वजह से अपने और पराये सब कद्र करने पर मजबूर है और ताकयामत तक करते रहेंगे।पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इंसानों को जीने का सलीका बताया। लोगों को सही रास्ते पर चलने की तालीम दी। सारी दुनिया पैग़ंबर-ए-आज़म के तुफैल बनायी गई। जीवन का ऐसा कोई पहलू नहीं जिसे बेहतर बनाने, अच्छाई को स्वीकार करने के लिए पैग़ंबर-ए-आज़म ने कोई संदेश न दिया हो। कायनात का जर्रा-जर्रा पैगंबर-ए-आज़म को आखिरी नबी व रसूल मानता है। पैगंबर-ए-आज़म की बातें इंसानों को सच की राह दिखाती हैं। पैगंबर-ए-आज़म तमाम पैगंबरों से अफ़ज़ल व आला हैं, बल्कि अल्लाह के बाद आपका ही मर्तबा है। इसके बाद मुल्क में अमनों अमान की दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई। जुलूस में हाजी सैयद तहव्वर हुसैन, हाफिज नज़रे आलम कादरी, मो. आज़म, नावेद आलम, मुफ़्ती अख्तर हुसैन, कारी मो. सरफुद्दीन, मो. नसीम, हाफ़िज़ रेयाज अहमद, मौलाना इदरीस, कारी अनीस सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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