गोरखपुर। मदरसों को आधुनिक बनाने का दावा सरकार भले ही करे मगर हकीकत इसके उलट है। न तो मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों को मानदेय मिल रहा है न ही बच्चों को एनसीईआरटी (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद) पाठ्यक्रम पर आधारित किताबें। प्रदेश सरकार ने एनसीईआरटी पाठ्यक्रम तो जरूर लागू किया लेकिन एनसीईआरटी की किताबें नहीं उपलब्ध करवाईं। जिस वजह से मदरसे में तालीम हासिल करने वाले बच्चों को बेसिक शिक्षा परिषद की किताबों के जरिए तालीम हासिल करनी पड़ रही है।
मिली जानकारी के मुताबिक सत्र 2019-2020 में प्रदेश सरकार ने अनुदानित मदरसों को एनसीईआरटी की किताबें उपलब्ध करवाईं थी। सत्र 2020-2021 में कोरोना की वजह से बच्चों को किताबें नहीं मिलीं वहीं सत्र 2021-2022 में भी किताबें नहीं मिलीं जबकि सितम्बर माह खत्म होने के करीब है। मजबूरन अनुदानित मदरसों के संचालकों को बेसिक शिक्षा परिषद की किताबें बीएसए आफिस से लाकर बच्चों को देनी पड़ रही हैं। शहर में दस अनुदानित मदरसे हैं। जिसमें कई सौ बच्चे तालीम हासिल कर रहे हैं।
मदरसा जियाउल उलूम पुराना गोरखपुर गोरखनाथ के प्रधानाचार्य मौलाना नूरुज़्ज़मा मिस्बाही ने बताया कि इस सत्र में एनसीईआरटी की किताबें नहीं मिलीं है। बीएसए आफिस से मिली बेसिक शिक्षा परिषद की किताबों के जरिए ही पढ़ाई हो रही है। बच्चों का ड्रेस भी अभी तक नहीं मिला है।