गोरखपुर

सब्जपोश खानदान के हज़रत सैयद कयामुद्दीन शाह का मनाया गया उर्स-ए-पाक

चादर पोशी के बाद हुई कुल शरीफ की रस्म

गोरखपुर। जाफ़रा बाजार में ‘सब्जपोश’ खानदान करीब तीन सौ सालों से आबाद है। इस खानदान और शहर के बड़े वलियों में शुमार हज़रत मीर सैयद कयामुद्दीन शाह अलैहिर्रहमां का 315वां उर्स-ए-पाक गुरुवार को सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाज़ार में अकीदत व एहतराम के साथ मनाया गया।

सुबह क़ुरआन ख़्वानी, फातिहा ख़्वानी व दुआ ख़्वानी की गई। मजार पर चादर पेश करने के बाद कुल शरीफ की रस्म अदा की गई।

उर्स के मौके पर मस्जिद के इमाम व खतीब हाफ़िज़ रहमत अली निज़ामी ने हज़रत मीर सैयद कयामुद्दीन शाह की ज़िंदगी पर रोशनी डालते हुए बताया कि आप शहंशाह शाहजहां के जमाने में गोरखपुर में तशरीफ़ लाए। आपके पीर हज़रत शैख़ मोहम्मद रशीद जौनपुरी अलैहिर्रहमां ने आपको खिलाफत अता फरमाई और आप गोरखपुर के हो गए। जहां वह ठहरे (जाफ़रा बाज़ार में) वहां जंगल था। आपने मस्जिद बनवाई। हुजरा कायम किया। हमेशा रोजे रखने और इबादत के अलावा आप बहुत बड़े आलिम, दीनदार, परहेजगार, सखी थे। आपका विसाल 8 सफर 1128 हिजरी को हुआ, आपकी उम्र सौ साल से ज्यादा हो चुकी थी। आपका मजार सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाज़ार के प्रांगण में है।

क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत हाफ़िज़ अलकमा ने की। नात-ए-पाक हाफ़िज़ रहमत ने पेश की। अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान व तरक्की की दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई।

उर्स में सैयद तारिक अली सब्जपोश, सैयद दानिश अली सब्जपोश, सैयद अहमद सब्जपोश, मोहम्मद आलम, मुख्तार, मौलाना नूरुद्दीन, हाजी बदरुल हसन, मोहम्मद समर, युसूफ, फजल आदि अकीदतमंद मौजूद रहे।

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