गोरखपुर। तंजीम दावते इस्लामी हिन्द के निगरानी में चलने वाले मदरसतुल मदीना (बच्चों के दीनी तालीम के लिए मकतब) की दो शाखाएं रज़ा मस्जिद जाफ़रा बाज़ार व सुप्पन खां मस्जिद खूनीपुर में खोली गईं। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत हुई। नात व मनकबत पेश की गई। दीनी तालीम के महत्व पर रोशनी डाली गई।
तंजीम के जिलाध्यक्ष वसीउल्लाह अत्तारी ने कहा कि इल्म के बिना किसी मसले की गहराई और उसका हल नहीं तलाशा जा सकता है। अगर हमें अपनी कौम को उन्नति के मार्ग पर ले जाना है तो इसके लिए जरूरी है कि नई नस्ल को पैगंबर-ए-आज़म, सहाबा, अहले बैत व औलिया की पाक ज़िन्दगी से अवगत कराया जाए। दीन-ए-इस्लाम आधारित तालीम के जरिए इंसान को ज़िन्दगी के सही उद्देश्यों का पता चलता है। इससे हमें अपने कर्तव्य का एहसास होता है, यही मानवता की भलाई की दिशा में अहम पड़ाव होता है। आज के दौर में ईमान को बचाने के साथ उसे मजबूत करना भी जरूरी है, क्योंकि ईमान इंसान की सबसे बड़ी दौलत है। अगर हमारे पास ईमान नहीं है तो उस ज़िन्दगी का कोई मतलब नहीं है। इंसान का ईमान दीनी तालीम से मजबूत होता है। ईमान से दुनिया और आखिरत संवरती है। अल्लाह ने सबसे बेहतरीन मखलूक इंसान को बनाया है। इंसान में सबसे बेहतर ईमान वाला इंसान होता है। आज ईमान वालों की वजह से ही दुनिया कायम है।