कविता

लाज़िम है

✍🏻सिद्दीक़ी मुहममद ऊवैस

जब बातिल का बोलबाला हो,
ज़ालिम सब पर हावी हो,
न्याय टकों पे बिकता हो,
नफ़रत की राजनीति,
जगह जगह पर चलती हो,
सत्ता धारी अहंकार में डूबे हों,
सरकारें झूठ पर चलती हों,
हक़ को सिरे से दबाया जाता हो,
सच्चाई से मुंह मोड़ा जाता हो?
सवालों से कतराया जाता हो,
जनता का विश्वास तोड़ा जाता हो,
मासूमों को बेकसूरों को…
रास्ते से हटाया जाता हो,
लोकशाही को सरेआम कुचला जाता हो,
तानाशाही का डंका बजाया जाता हो,
ऐसे में हक़ की स्याही से..
सच्चाई के शब्द लिखना,
बेझिझक, बेबाक बोलना,
हर शहरी का हर आन बोलना,
न्याय की ख़ातिर लड़ना,
आवाज़ बुलंद करना,
लाज़िम है………….!!!!!!!

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