- सानिया, खुशी, असर, साबरीन, शाइस्ता व सना ने किया टॉप
- मकतब इस्लामी तालीमात का तीसरा सालाना पुरस्कार वितरण समारोह व जलसा
- इंसान का ईमान दीनी तालीम से मजबूत होता है: मौलाना सदरुलवरा
गोरखपुर। तहरीक पासबाने अहले सुन्नत की ओर से शहर की चार जगहों (जामा मस्जिद रसूलपुर, सुब्हानिया मस्जिद तकिया कवलदह, मोती मस्जिद अमरुतानी बाग व इमाम बारगाह पुराना गोरखपुर) में संचालित ‘मकतब इस्लामी तालीमात’ का तीसरा सालाना पुरस्कार वितरण समारोह मंगलवार को जामा मस्जिद रसूलपुर के निकट हुआ।
मुख्य अतिथि अलजामियतुल अशरफिया मुबारकपुर यूनिवर्सिटी के प्रमुख मुफ़्ती मो. निज़ामुद्दीन रज़वी व मौलाना मो. सदरुलवरा क़ादरी ने मकतब के टॉप टेन बच्चों सानिया हुसैन, मो. असर अंसारी, सना फातिमा, शाइस्ता खातून, अलवियान खां, जीशान अहमद, रौशनी फिरदौस, मो. सईद, साबरीन खातून, खुशी शाह को खास पुरस्कार से नवाज़ा। मकतब के 8 शिक्षकों को सम्मानित किया गया। साथ ही 180 बच्चों को भी पुरस्कृत किया गया। मकतब के बच्चों ने तिलावत, तकरीर, नात, मनकबत, दीनी सवाल-जवाब व दुआ के जरिए लोगों का दिल जीत लिया। तहरीक ने मुख्य अतिथि को अभिनन्दन पत्र (सिपास नामा) पेश किया।
जलसा-ए-आम में मुख्य अतिथि मुफ़्ती मो. निज़ामुद्दीन रज़वी ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम के आख़िरी पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने दुनिया को अल्लाह की इबादत का संदेश देकर जहालत को दूर करने का पैग़ाम दिया। दीन-ए-इस्लाम में होश संभालने से लेकर मरते दम तक अल्लाह के कानून और उसके हुक्मों के मुताबिक जिंदगी गुज़ारना इबादत है। पवित्र क़ुरआन कहता है कि तुम वह बेहतरीन उम्मत हो, जिसे लोगों के लिए बनाया गया है। तुम्हारा काम है कि तुम लोगों को नेकी का हुक्म दो, बुराई से रोको, अल्लाह पर यकीन रखो। उन्होंने अवाम के सवालों का जवाब क़ुरआन व हदीस की रौशनी में दिया। तहरीक द्वारा तैयार की गई नई दाइमी जंत्री के मुताल्लिक तमाम सवालों का इत्मिनान बख्श जवाब दिया और नई दाइमी जंत्री मस्जिदों, दरगाहों व घरों में रखने की अपील की।
विशिष्ट अतिथि मौलाना मो. सदरुलवरा क़ादरी ने कहा कि आज के दौर में ईमान को बचाने के साथ उसे मजबूत करना भी जरूरी है, क्योंकि ईमान इंसान की सबसे बड़ी दौलत है। अगर हमारे पास ईमान नहीं है तो उस जिंदगी का कोई मतलब नहीं है। इंसान का ईमान दीनी तालीम से मजबूत होता है। ईमान से दुनिया और आख़िरत संवरती है। अल्लाह ने सबसे बेहतरीन मखलूक इंसान को बनाया है। इंसान में सबसे बेहतर ईमान वाला होता है। आज ईमान वालों की वजह से ही दुनिया कायम है।
क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत तामीर अहमद अज़ीज़ी ने की। नात-ए-पाक हाफ़िज़ मो. असलम व आदिल अत्तारी ने पेश की। अध्यक्षता सगीर अहमद क़ादरी व संचालन मौलाना जमील अख्तर मिस्बाही ने किया। अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में अमन, तरक्की व भाईचारा कायम रहने की दुआ मांगी गई।
जलसे में तहरीक के सदर मौलाना जहांगीर अहमद अज़ीज़ी, मो. शाकिब खान, मो. शफक सद्दाम, मुमताज अहमद, मुफ्ती खुश मोहम्मद, मौलाना शादाब आलम, मौलाना रजिउल्लाह मिस्बाही, मौलाना नूरुज़्ज़मा मिस्बाही, इमदाद अहमद अज़ीज़ी, सबील गोरखपुरी, हाफ़िज़ रिज़वान आलम, हाफ़िज़ गुलाम मुस्तफा रज़ा, हाफ़िज़ जहूर आलम, मौलाना मो. इमरान, मौलाना इसहाक खान, मौलवी सफ़र हुसैन, मौलाना वसीम बरकाती, हाफिज नौशाद आलम, हाफ़िज़ वसीम, हाफ़िज़ आबिद रज़ा आदि लोग मौजूद रहे।