ऐतिहासिक

सम्भल की जामा मस्जिद और बाबरनामा

सम्भल की जामा मस्जिद के बारे में कहा जा रहा है कि बाबरनामा में लिखा है कि उसे बाबर के आदेश पर मन्दिर तोड़कर बनवाया गया था… मैंने इस बात की सच्चाई पता लगाने के लिये बाबरनामा का पीडीएफ डाउनलोड किया और पढ़ गया लेकिन बाबरनामा में सम्भल पर हिन्दू बेग की जीत का ज़िक्र तो मिला लेकिन मन्दिर तोड़ने का ज़िक्र नही मिला…

बल्कि पहली बार बाबरनामा को पढ़कर मुझे ये पता चला कि बाबर से पहले दिल्ली यूपी मेवात और हरियाणा के तमाम इलाकों पर पठान मुसलमानों का कब्ज़ा था, जो पठान बाबर से ज़्यादा इस्लाम के पाबन्द थे और जिन पठानों को हिन्दू मुसलमान अवाम भी बहुत पसंद करती थी,
जबकि बाबरनामा के मुताबिक बाबर उस वक्त बिना एक भी दिन नागा किये रोज़ शराब पिया करता था, माजून का नशा करता, इसके अलावा गाने बजाने का शौकीन था, और दाढ़ी मुंडाए रखता, बाबर लिखता है कि जब उसने सुल्तान इब्राहीम को मारकर दिल्ली पर कब्ज़ा किया तो उसने देखा कि आगरे और दिल्ली के पुराने अमीर और रियाया के लोग बाबर के फौजियों को देखकर उनसे नफरत के चलते दूर दूर चले जाते…. भारत के हिंदुओं के साथ ही भारत के मुसलमान भी उस वक्त बाबर को पसन्द नही करते थे, बल्कि उससे नफरत करते थे

…. सम्भल के बारे में लिखा है कि उस वक्त क़ासिम सम्भली नाम का पठान सम्भल का शासक था, जिससे बब्बन नाम के एक पठान ने बगावत कर दी थी, बाबरनामा में लिखा है कि क़ासिम सम्भली ने बाबर से बब्बन के ख़िलाफ़ मदद मांगी, …. बाबर ने हिन्दू बेग जो कि पहले ब्राह्मण हुआ करता था, उसको सम्भल भेजा, हिन्दू बेग ने बब्बन और उसके पठान साथियों की हत्या कर दी फिर क़ासिम सम्भली की इच्छा के विरुद्ध सम्भल पर कब्ज़ा कर लिया….. यानी सम्भल में बाबर के सेनापति हिन्दू बेग ने बब्बन और कासिम यानी मुसलमानों के ही ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी, ऐसे में हिन्दू धर्मस्थल पर कोई हमला करने का कोई सेंस नही बनता, ना ही बाबरनामा में ऐसा कुछ लिखा है…. हां सम्भल और दिल्ली पर कब्ज़ा करने के लिये बाबर ने कई मुसलमानों की जान ली ये ज़रूर बाबरनामा में लिखा है,

बाबर जब भारत आया तो वो कोई प्रैक्टिसिंग मुस्लिम बनकर यहां नही आया था, बल्कि भारत के प्रैक्टिसिंग मुसलमानों के ख़िलाफ़ युद्ध करते हुए शराबी बाबर की छवि एक इस्लाम विरोधी की ज़्यादा थी, हिन्दू मुस्लिम जनता के मन मे अपने लिये नफरत का भाव देखकर ही शायद बाबर ने बाद में अपनी छवि बदलने की कोशिश की शराब छोड़ी दाढ़ी रखी, गोकशी पर रोक लगाई और हिन्दू और मुस्लिम जनता के सामने अपनी छवि चमकाने की कोशिश की
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…. उत्तर भारत में बाबर द्वारा मन्दिरों को तोड़ने की सारी कहानियां झूठी और बेबुनियाद ही साबित हुई हैं, उत्तर भारत मे बाबर की तमाम लड़ाइयां मुसलमानों से ही हुई हैं, ऐसे में मन्दिरों को भला वो क्यों तुड़वाता ???

बाबरी मस्जिद के मामले में भी वहां से मन्दिर का कोई साक्ष्य आख़री दम तक नही मिल सका, और अब ऐसी ही झूठी कहानी सम्भल के बारे में बनाने की कोशिश की जा रही है जबकि अपनी बनावट से भी सम्भल की जामा मस्जिद बाबर के आने के पहले की मस्जिद दिखती है, ये सल्तनत काल के शासकों की बनवाई मस्जिद है, और सल्तनत काल के शासक बहुत सहिष्णु और हिंदुओं के प्रति नरमी रखने वाले शासक हुआ करते थे !

साभार: हिस्ट्री आवर (History Hour)

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