पैगंबरे इस्लाम पूरी दुनिया के लिए रहमत व रहनुमा बनकर तशरीफ लाए : मौलाना जहांगीर
गोरखपुर। पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि के मूए मुबारक (पवित्र बाल) की जियारत सलातो सलाम के बीच रविवार को दीवान बाजार स्थित ख्वाजा नासिर अली के मकान पर बाद नमाज ज़ोहर करवाई गई। हम्द व नात मौलवी मो. दारैन वारसी ने पेश की।
जियारत से पहले मिलाद हुई। जिसमें मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी ने आखिरी पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़िंदगी व सीरत पर रोशनी डालते हुए कहा कि दीन-ए-इस्लाम का असली मिशन तौहीद, अमन, मोहब्बत व शांति है। दीन-ए-इस्लाम हमें अपने वतन से मोहब्बत का पैग़ाम देता है। किसी भी मुल्क का विकास अमन, भाईचारे व आपसी प्रेम के माहौल में ही हो सकता है। पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बताई राह पर चलकर ही मुल्क, कौम और समाज को खुशहाल बनाया जा सकता है। पैग़ंबरे इस्लाम ने हमेशा अपने किरदार व व्यवहार से इंसान को शिक्षा दी कि सभी इंसान अल्लाह के बंदे हैं। पैगंबरे इस्लाम पूरी दुनिया के लिए रहमत व रहनुमा बनकर तशरीफ लाए। ईद मिलादुन्नबी की खुशियों में सबको शामिल करें। पैग़ंबरे इस्लाम की शिक्षा आम करें।
उन्होंने कहा कि नमाज़ पैग़ंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के आंखों की ठंडक है। नमाज़ इंसान को हर बुराई से दूर रखती है। नमाज़ तय समय पर खुद भी अदा करें और घर वालों से भी नमाज़ पढ़ने के लिए कहें।
ख्वाजा नासिर अली ने अकीदतमंदों को मूए मुबारक की जियारत करवाई। मुल्क में अमन, मुहब्बत व भाईचारे की दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई। इस दौरान फैजी, यामीन, नज्मी, रेहान, हस्सान, फहीम, अदील, आसिम, फैसल, फरहान, आदिल अमीन, मुर्तजा हुसैन रहमानी, सैयद इरशाद अहमद, मिनहाज सिद्दीकी, नवेद आलम सहित अकीदतमंद मौजूद रहे।