- तकिया कवलदह में जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी
गोरखपुर। फैजाने अशरफी नौजवान कमेटी की ओर से रविवार को तकिया कवलदह सूर्य विहार कालोनी स्थित सुब्हानिया जामा मस्जिद के पास जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी हुआ।
मुख्य वक्ता संत कबीरनगर के शहर काजी मुफ्ती अख्तर हुसैन अलीमी ने कहा कि पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने अन्तिम हज संबोधन में फ़रमाया है कि तुम्हारा अल्लाह एक है। अल्लाह की किताब कुरआन और उसके पैगंबर की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना। लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख्याल रखना। कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब भी न फटकना। किसी अरबी को किसी अज़मी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अज़मी को किसी अरबी पर। न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर। प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ ईमान, तक़वा व परहेज़गारी से है यानी रंग, जाति, नस्ल आदि किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र। औरतों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है। औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूं कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ।
अध्यक्षता करते हुए मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी ने कहा कि कुरआन-ए-पाक अल्लाह का कलाम है। यह एक मात्र किताब है जो सारी किताबों की सरताज है। यहां तक कि कयामत तक पैदा होने सारे सवालों का जवाब कुरआन-ए-पाक में है। दीन-ए-इस्लाम ने इस किताब के जरिए जो कानून अता किए हैं उनसे इंसानियत की हिफाजत होती है और इंसानियत का वकार बढ़ता है। दीन-ए-इस्लाम पूरी इंसानी बिरादरी की हिफाजत की बात करता है।
विशिष्ट वक्ता मौलाना मोहम्मद अहमद निजामी ने कहा कि पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि ऐ लोगों! याद रखो, मेरे बाद कोई पैग़ंबर नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत नहीं। अत: अपने रब की इबादत करना। प्रतिदिन पांचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना। हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञा पालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे। अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान व भाईचारे की दुआ मांगी गई। जलसे में सेराज अहमद, सैयद नदीम अहमद, तामीर अजीजी, मो. दारैन इस्माईली, अनस, साहिल, साहेब आलम, असलम, रमजान, मेराज, शम्से आलम सैयद आसिम सहित तमाम लोग मौजूद रहे।