धार्मिक

रजबुल मुरज्जब का चाँद और नफ्ल नमाज़ें

रसूले मकबूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फ़रमाते हैं कि माहे रजब की बेशुमार फजीलत है और इस माहे मुबारक की इबादत बहुत अफ़ज़ल है। हुजूरे अकदस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इर्शादे गिरामी है कि जब माहे रजब का चाँद देखो तो पहले एक मर्तबा यह दुआ पढ़ो।

अल्लाहुम्म बारिक लना फी रज – ब व शअबा – न व बल्लिगना इला शहरिर – मज़ान०

नफ्ल नमाज़ें

  1. माहे रजब की पहली शब क़ब्ल नमाज़े इशा बीस रकअत नमाज़ दस सलाम से पढ़े हर रकअत में बाद सूरए फ़ातिहा के सूरए। काफिरून तीन – तीन मर्तबा और सूरए इखलास तीन – तीन दफ़ा पढ़े। इन्शा अल्लाह तआला इस नमाज़ पढ़ने वाले अल्लाह पाक कियामत के दिन शहीदों में शामिल करेगा और हज़ार दर्जा उसके बुलन्द करेगा। (बारह महिनो की नफ्ल नमाज, सफा नं. 14,15)
  1. पहली शब बाद नमाज़े इशा चार रकअत नमाज़ दो सलाम से पढ़े हर रकअत में बाद सूरए फातिहा के सूरए अलम नश्रह एक बार, सूरए इखलास एक बार सूरए फलक एक बार, सूरए नास एक बार पढ़े जब दो रकअत का सलाम फेर दे तो कल्मएतौहीद तैंतीस मर्तबा और दुरूद शरीफ़ तैंतीस दफ़ा पढ़कर जो भी हाजत हो अल्लाह पाक से तलब करे
    इन्शा अल्लाह तआला हर हाजत पूरी होगी।
  2. माहे रजब की पहली शब बाद नमाज़े इशा दो रकअत नमाज़ पढ़े हर रकअत में बाद सूरए फातिहा के बाद सूरए इखलास पाँच – पाँच मर्तबा पढ़े बाद सलाम के सूरए इखलास एक सौ मर्तबा पढ़े।
    इन्शा अल्लाह तआला इस नमाज़ की बरकत से अल्लाह पाक उसे सेहत अता फरमाएगा। बीमार की सेहत के लिए यह नमाज़ बहुत अफ़ज़ल है।
  3. अव्वल शब नमाज़े तहज्जुद के वक़्त दस रकअत नमाज़ दो – दो रकअत करके पाँच सलाम से पढ़े हर रकअत में बाद सूरए फातिहा के सूरए काफिरून तीन – तीन मर्तबा सूरए इखलास तीन – तीन मर्तबा पढ़े बाद सलाम के हाथ उठा कर एक मर्तबा कल्मए तौहीद पढ़े फिर एक मर्तबा यह दुआ पढ़े:

अल्लाहुम्म ला मानि – अ लिमा अअतै – त वला मुअती लिमा म – न – अ – त वला यन – फ़ऊ ज़लजददि मिन्कल जददु ०
यह दुआ पढ़कर अल्लाह पाक से जो भी हाजत हो तलब करे
इन्शा अल्लाह जो दुआ मांगे वह कबूल होगी।

  1. माहे रजब की पहली शब जुमा बाद नमाज़े इशा दो रकअत नमाज़ पढ़े।
    पहली रकअत में सूरए फातिहा के बाद सूरए बक़रह का आखरी रुकूअ आमनर- र – रसूलो से काफ़िरीन तक सात मर्तबा पढ़े फिर दो रकअत में बाद सूरए फ़ातिहा के सूरए हश्र की आखरी आयात हुवल्लाहुल – लज़ी ता हकीम० सात मर्तबा पढ़े बाद सलाम के बारगाहे इलाही में जो भी हाजत हो तलब करे
    इन्शा अल्लाह जो दुआ मांगे कबूल होगी हर मुराद के लिए यह नमाज़ बहुत अफ़ज़ल है। (बारह महिनो की नफ्ल नमाज, सफा नं. 15)

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