गलत फहमियो का निवारण

क्या किसी पेड़ या ताक़ पर वली और शहीद रहते हैं?

कुछ लोग कहते हैं कि फुलां ताक़ या दरख़्त (पेड़) पर शहीद या वली रहते हैं और उस दरख़्त या ताक़ के पास जा कर फ़ातिहा दिलाते हैं, हार, फूल, खुश्बू वगैरह डालते हैं, लोबान या अगरबत्ती सुलगाते हैं, और वहां मुरादें मांगते हैं, ये सब ख़िलाफ़े शरअ, जहालत और ग़लत बातें है, जो जहालत की वजह से अवाम में राएज हो गयी हैं और उनको दूर करना निहायत ज़रूरी है, हक़ ये है कि ताक़ों, मेहराबों और दरख़्तों पर महबूबाने ख़ुदा का क़याम मान कर वहां हाज़िरी नियाज़, फ़ातिहा, अगरबत्ती व मोमबत्ती जलाना, हार फूल डालना, खुशबू मलना, चूमना चाटना हरगिज़ जाएज़ नही,
हुज़ूर आला हज़रत رحمة الله عليه इन बातों के मुतअल्लिक़ इरशाद फ़रमाते हैं कि
“ये सब वाहियात, खुराफ़ात, और जाहिलाना काम है इसे दूर करना लाज़िम है”

आज कल कुछ लोग इन सब बुरे कामों से रोकने वालों को वहाबी वग़ैरह कह देते हैं, लेकिन ऐसा नही होना चाहिए बल्कि समझाने और समझने वालों को अख़लाक़ और इत्मीनान से काम लेना चाहिए,

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