कानपुर

मजदूर किसान विरोधी सरकार गद्दी छोड़ो !

अमित कुमार त्रिवेदी

कानपुर, उत्तर प्रदेश। करो या मरो’ के नारे के साथ गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ बड़ा और तीसरा आंदोलन शुरू किया था। ब्रिटिश की हुकूमत से भारत को आजाद कराने के लिए 1942 में सबसे लंबी लड़ाई की शुरुआत की गई थी।
आज 81वीं जयंती महोत्सव पर देशव्यापी आंदोलन के तहत केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के तत्वाधान में इंटक, एटक, एच एम एस, सीटू ऐक्टू ए आई यू टी यू सी, टी यू सी सी व औद्योगिक संस्थानों के स्वतंत्र यूनियानों के मजदूरों तथा कर्मचारियो ने श्रमायुक्त कार्यालय महापड़ाव डाल कर धरना दिया।
मजदूर नेताओं ने कहा कि भारत की मेहनतकश जनता ने 9 अगस्त 1942 को स्वतंत्रता संग्राम के निर्णायक अंतिम चरण की शुरुआत की थी और पूरे देश के लोगों को आपस में जोड़ने में अहम भूमिका निभाई थी। इस आंदोलन में भारत के देशवासियों ने साहस, धैर्य, एकता, सहनशीलता और सक्रियता की एक ऐसी मिसाल पेश की, जिसने अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया था।
लेकिन वर्तमान सरकार अंग्रजों की नीतियों पर चलते हुए कुछ कॉरपोरेट घरानों को जनता की गाढ़ी कमाई को लूट कर उनकी झोली में डालने का काम कर रही है। जिससे बढ़ती मंहगाई, बेरोजगारी से देश टूटने के कगार पर पहुंच गया है।
मजदूर नेताओं ने प्रधानमंत्री को सम्बोधित 20 सूत्रीय ज्ञापन सहायक श्रमायुक्त श्री रामलखन पटेल को देकर मांग की गई कि श्रम कानून का पालन, चारो श्रम संहिता रद्द करने, न्यूनतम वेतन तय करने के लिये समिति का गठन करने, न्यूनतम मजदूरी रुपया 26000 प्रति माह हो,शुगर उद्योग, होटल उद्योग, इंजीनियरिंग उद्योग में वेतन पुनरीक्षण करने , सभी मजदूरों का नाम रजिस्टर में दर्ज करने, नियमित प्रकृति के काम पर स्थामी श्रमिक रखने, संविदा/ आउटसोर्सिंग मजदूरो को समान काम केे लिये समान वेतन देने, सरकारी रिक्त पदों पर नियुक्ति करने, पुरानी पेंशन बहाल करने, आंगनवाड़ी आशा मिड डे मिल को सरकारी कर्मचारी घोषित करने, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने , असंगठित क्षेत्र के सभी पंजीकृत मजदूरों को आयुष्मान कार्ड देने, निजी सिक्योरिटी कर्मियों, स्विगी, जोमेटो आदि गिग कर्मचारियोंं को श्रम कानूनों से आवर्त किया जाए, श्रम विभाग और न्यायलयों में अधिकारीयों और पीठासीन अधिकारियों की स्थाई नियुक्ति के साथ ही स्टॉफ कर्मचारियों की भर्ती जल्द की जाए आदि मॉगे प्रमुख है। ’’
न्यूनतम वेतन समिति का गठन किया जाए। श्रम कानूनों को सख्ती से लागू किया जाए इत्यादि रही।
महापड़ाव का संचालन असित कुमार सिंह संयोजक और धरने को सम्बोधित करने वालों में कुलदीप सक्सेना, राणा प्रताप सिंह, राजेश शुक्ला (इंटक की स्थाई समिति सदस्य) रामप्रकाश राय, वालेंद कटियार, अशोक तिवारी, उमेश शुक्ला, आर पी कनौजिया,शेषनाथ, एस ए एम ज़ैदी, आर डी गौतम, राजीव खरे, गौरव दीक्षित, राजीव निगम, कमल चतुर्वेदी, मीनाक्षी सिंह, ओम प्रकाश, हिरेंद्र नाथ दीक्षित, नीरज यादव, विजय कुमार,, तारणि कुमार पासवान, अरुण कुमार तिवारी, मो खालिद आदि उपस्थित रहे।

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