गोरखपुर

शहीद-ए-आज़म इमाम हुसैन की कुर्बानियों को किया याद

  • दसवीं मुहर्रम को निकला ताजिया का जुलूस
  • कर्बला में सुपुर्दे खाक (दफ़न) हुई ताजिया

गोरखपुर। मुहर्रम की दसवीं तारीख़ को ‘शहीद-ए-आज़म हज़रत सैयदना इमाम हुसैन’ व उनके जांनिसारों की शहादत को याद करते हुए सुबह से ही ताजियों के निकलने का सिलसिला शुरु हुआ जो सारी रात तक चलता रहा।

मुहर्रम की दसवीं तारीख यानी शनिवार को महानगर के सभी इमाम चौकों पर बैठाए गए ताजिया के साथ अकीदतमंदों ने जुलूस निकाला और कर्बला पहुंचकर शहीदाने कर्बला को खिराज-ए-अकीदत पेश करने के बाद ताजियों को कर्बला में सुपुर्दे खाक (दफ़न) किया। इमाम चौकों पर रखे गए बड़े ताजिया जुलूस में शामिल हुए।

खास तौर से इमाम हुसैन व उनके जांनिसारों के इसाले सवाब के लिए मस्जिद, इमाम चौकों व घरों में क़ुरआन ख्वानी, फातिहा ख्वानी व दुआ ख्वानी हुई। जगह-जगह शर्बत, मीठा चावल, बिरयानी, खिचड़ा बनाया गया और अकीदतमंदों में बांटा गया।

शाम को जिन्होंने दसवीं मुहर्रम का रोज़ा रखा था, उन्होंने मगरिब की अज़ान पर रोज़ा खोला। घरों व मस्जिदों में नफ़्ल नमाज, कुरआन-ए-पाक की तिलावत, तस्बीह व दुआ की गई। दरूदो सलाम का नज़राना पेश किया गया। ग़ौसे आज़म फाउंडेशन की ओर से सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर में रोजा इफ्तार का आयोजन हुआ। जिसमें अकीदतमंदों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। मगरिब की नमाज अदा कर दुआ मांगी गई। रोज़ा इफ़्तार में जिलाध्यक्ष समीर अली, हाफिज अमन, मो. फैज, मो. जैद मुस्तफाई, अमान अहमद, मो. आसिफ, मो. जैद चिंटू, अली गज़नफर शाह अजहरी, अमान अहमद आदि ने महती भूमिका निभाई। वहीं दसवीं मुहर्रम को भी रहमतनगर में लंगर-ए-हुसैनी बांटा गया।

दसवीं मुहर्रम को रसुलपुर, जमुनहिया, अहमदनगर चक्शा हुसैन, गोरखनाथ, हुमायूंपुर, रेलवे स्टेशन, जटेपुर, शाहपुर, घोसीपुरवा, अंधियारी बाग, जाफरा बाजार, घासीकटरा, गाजी रौजा, खोखर टोला, रहमतनगर, मिर्जापुर, निजामपुर, हाल्सीगंज, तुर्कमानपुर, पहाड़पुर, खूनीपुर, इस्माईलपुर, अस्करगंज, मियां बाजार, रूद्रपुर, अलीनगर, इलाहीबाग, मोहनलालपुर, बहरामपुर, सिधारीपुर, धर्मशाला बाजार, छोटे काजीपुर, बक्शीपुर सहित तमाम इमाम चौकों से जुलूस निकले। जुलूस सुबह से ही सड़कों पर दिखाई देने लगे थे।

इमाम चौकों पर रखे गए छोटे-छोटे ताजिया दिन में ही कर्बला में दफ़न कर दिए गए जबकि बड़े ताजियों के जुलूस सारी रात सड़कों पर दिखाई दिए। देर रात निकलने वाली लाइन की ताजिया का जुलूस मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा। यह जुलूस गोलघर, घंटाघर, रेती, नखास, बक्शीपुर, होते हुए वापस इमाम चौकों पर गया। सभी इमाम चौकों से जुलूस निकलकर बक्शीपुर पहुंचे। वहां से अलीनगर, बेनीगंज, ईदगाह रोड, जाफ़रा बाजार होते हुए कर्बला पहुंचे। ताजिया दफ़न करने के बाद जुलूस पुन: अपने-अपने इमाम चौकों पर पहुंचकर समाप्त हुआ। सभी जुलूसों का नेतृत्व इमाम चौकों के मुतवल्लियों ने किया। जुलूस का केंद्र नखास चौक रहा।

ताजिया व राशन चौकियों में देश और दुनिया की झलक देखने को मिली। जुलूस के दौरान लोग ताजिया व रौशन चौकी की फोटो व वीडियो अपने मोबाइल में कैद करते नजर आए। जुलूस में शामिल अलम, राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा, सद्दे, ऊंट, घोड़े और ढोल-ताशे भी लोगों को अपनी ओर खींचने में कामयाब रहे। जुलूस का कई जगह स्वागत किया गया। बेहतरीन ताजिया, जुलूस व अखाड़ों को पुरस्कृत किया गया। मियां बाज़ार स्थित इमामबाड़ा मेले में खूब चहल-पहल रही। सड़कें अकीदतमंदों से पटी नजर आईं। देर रात तक हलुआ पराठा वगैरा की दुकानें खुली रहीं। महिलाएं, बच्चे, नौजवान, बुजुर्ग सभी ने जुलूस व मेले का भरपूर मजा उठाया। जुलूस में नारा-ए-तकबीर अल्लाहु अकबर, नारा-ए-रिसालत या रसूलल्लाह, नारा-ए-हैदरी या अली और या हुसैन, या हुसैन, ‘शोह-दाए-कर्बला’ ज़िंदाबाद, ‘हिन्दुस्तान’ जिंदाबाद आदि नारे भी खूब लगे।

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