गोरखपुर। गुरुवार को मुसलमानों के दूसरे खलीफा अमीरुल मोमिनीन हज़रत सैयदना उमर रदियल्लाहु अन्हु को उनके शहादत दिवस पर शिद्दत से याद किया गया। सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर में गौसे आज़म फाउंडेशन ने कुरआन ख्वानी, फातिहा ख्वानी व दुआ ख्वानी की। कर्बला के शहीदों की याद में रहमतनगर में दस दिनों के लिए पानी स्टॉल का शुभारंभ किया।
मस्जिद के इमाम मौलाना अली अहमद ने कहा कि हज़रत सैयदना उमर पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के प्रमुख चार सहाबा (साथियों) में से थे। वह हज़रत अबू बक्र के बाद मुसलमानों के दूसरे खलीफा चुने गए। पैग़ंबरे इस्लाम ने आपको फारूक की उपाधि दी। जिसका अर्थ होता है सत्य और असत्य में फर्क करने वाला। पैग़ंबरे इस्लाम के अनुयाईयों में इनका रुतबा हज़रत अबू बक्र के बाद आता है। हज़रत उमर जब ख़लीफा हुए तब एक नये दौर की शुरुआत हुई। दीन-ए-इस्लाम का खूब विस्तार हुआ। हजरत उमर की न्यायप्रियता जग जाहिर है। हज़रत उमर अहले बैत से बहुत मोहब्बत करते थे। आपकी शहादत 1 मुहर्रम 24 हिजरी को हुई। हज़रत उमर ख़ुलफा-ए-राशिदीन में एक सफल ख़लीफा साबित हुए।
चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में मौलाना महमूद रज़ा कादरी ने कहा कि हज़रत उमर ने सन् हिजरी इस्लामी कैलेंडर का निर्माण किया। हजरत उमर असाधारण इच्छा शक्ति, बुद्धि, राजनीतिक, निष्पक्षता, न्याय और गरीबों और वंचितों लोगों के लिए देखभाल के लिए अच्छी तरह से जाने जाते हैं।
मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर में कारी मोहम्मद अनस रजवी व हाफिज रहमत अली निजामी ने हज़रत सैयदना उमर के शहादत दिवस पर कहा कि हज़रत सैयदना उमर के बारे मे यूरोपीय लेखकों ने कई किताबें लिखी हैं तथा ‘उमर महान’ की उपाधि दी है। प्रसिद्ध लेखक माइकल एच. हार्ट ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘दि हन्ड्रेड’ में हज़रत उमर को शामिल किया है। पैग़ंबरे इस्लाम ने एक शाम काबे के पास जाकर अल्लाह से दुआ की कि अल्लाह उमर को या अम्र अबू जहल दोनों में से जो तुझको प्रिय हो हिदायत दे। यह दुआ हज़रत उमर के हक़ में क़बूल हुई। हज़रत उमर इस्लाम में दाखिल हो गये। मुसलमानों में खुशी की लहर दौड़ गई। इस्लाम लाने पर हज़रत उमर ने ऐलान किया कि अब सब मिल कर काबा शरीफ़ में नमाज़ पढ़ेंगे।
अंत में सलातो सलाम पढ़कर दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई। कार्यक्रम में फाउंडेशन के जिलाध्यक्ष समीर अली, जिला महासचिव हाफिज मो. अमन, अली गज़नफर शाह, मो. फैज, मो. जैद, अमान अहमद, रियाज़ अहमद, मो. शारिक, सैफ अली, मो. जैद चिंटू, वारिस अली वारिस आदि शामिल रहे।