- पुलिस किसी पत्रकार का फोन कानून के तहत प्रक्रिया का पालन किए बिना जब्त नहीं कर सकती।
कोच्चि: पुलिस किसी पत्रकार का फोन कानून के तहत प्रक्रिया का पालन किए बिना जब्त नहीं कर सकती। यह टिप्पणी केरल हाई कोर्ट ने की है। सोमवार को जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने कहा, पत्रकार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ हैं। यदि किसी केस के लिए उनके फोन की आवश्यकता है तो दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधानों के मुताबिक ही फोन को जब्त किया जा सकता है।
कोर्ट का यह आदेश मलयालम दैनिक ‘मंगलम’ के पत्रकार जी विशाकन की ओर से दायर याचिका पर आया। याचिकाकर्ता ने याचिका में पुलिस को उनका फोन सौंपने का निर्देश देने की मांग की थी, जिसे पिछले सप्ताह जब्त कर लिया गया था।
बता दें कि यू-ट्यूब न्यूज चैनल ‘मरुनदान मलयाली’ के संपादक शजान स्कारिया के खिलाफ एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत एक मामले के संबंध में जब पुलिस ने विशाकन के घर पर तलाशी ली, तो उनका फोन जब्त कर लिया था।
स्कारिया कथित तौर पर माकपा विधायक पीवी श्रीनिजिन को ‘जान-बूझकर अपमानित’ करने के लिए एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत एक आपराधिक मामले का सामना कर रहे हैं। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने स्कारिया को मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम राहत प्रदान कर दी। इससे पहले केरल की एक विशेष अदालत ने स्कारिया को राहत देने से इनकार कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने केरल के सत्तारूढ़ वाम मोर्चा के विधायक की ओर से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत दायर मामले में ऑनलाइन न्यूज चैनल के संपादक को गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की। केरल हाई कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद साजन सकारिया ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। कुन्नाथुनाड के दलित नेता CPI-M विधायक PV श्रीनिजिन ने एलमक्कारा पुलिस में सकारिया के खिलाफ फर्जी खबरें चलाकर उनकी मानहानि करने का मामला दर्ज कराया है।