राजनीतिक

सीमा हैदर /ज्योति मौर्य का प्यार और दोहरे मापदंड !!

इन दिनों सोशल मीडिया से लेकर चाय की दुकानों तक दो महिलाओं का प्यार का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। दोनों महिलाओं के देश और धर्म अलग-अलग हैं, लेकिन ‘प्यार का अंदाज’ लगभग एक जैसा है। दोनों महिलाएं शादीशुदा हैं बच्चे वाली हैं। उन्होंने अपने पहले पति के साथ दस साल से ज्यादा समय बिताया है। दस साल की शादीशुदा जिंदगी के बाद दोनों महिलाओं की नजरें गैर मर्दों से लड़ गईं। अब इसे इश्क कहें या कुछ और, लेकिन आजकल इन दोनों महिलाओं के चर्चे खबरों में, चैनल/अखबार और आम लोगों की जुबान पर हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस मुद्दे पर मीडिया और जनता की राय में पूर्वाग्रह (तास्सुब) साफ नजर आता है।

कौन हैं ये महिलाएं ?
पहली महिला पाकिस्तान की सीमा हैदर हैं और दूसरी महिला भारत के बनारस की ज्योति मौर्य हैं। सीमा के मुताबिक, वह एक मामूली पढ़ी-लिखी महिला हैं, जबकि ज्योति मौर्य एक उच्च शिक्षित महिला हैं जो एक महत्वपूर्ण सरकारी पद पर हैं और वर्तमान में बरेली में एस.डी.एम. हैं। सीमा हैदर के चार बच्चे हैं और ज्योति मौर्य दो लड़कियों की मां हैं। ज्योति मौर्य के पति चतुर्थ श्रेणी (Fourth Class) कर्मचारी हैं, जबकि सीमा के पति घर से दूर सऊदी अरब में कार्यरत हैं। ज्योति मौर्य को अपने सहकर्मी मनीष दुबे से प्यार हो गया और सीमा को एक मामूली सी नोकरी करने वाले सचिन मीणा से प्यार हो गया। ज्योति ने अपनी सेवा, सम्मान को दांव पर लगाया और सीमा हैदर ने अपनी मातृभूमि का त्याग कर दिया। यहां तक कि परिवार और धर्म का भी त्याग कर दिया।

जनता और मीडिया का दोहरा रवैया !!
सबसे पहले ज्योति मौर्य का मामला आया। जैसे ही यह मामला सामने आया, मीडिया और जनता ने ज्योति मौर्य को बेवफा और धोखेबाज घोषित कर दिया। यहां तक कि एक नया नारा “बेटी पढ़ाओ बीवी नहीं” भी उछाल दिया गया। कहा जाता है कि ज्योति मौर्य शादी के समय बी.ए. पास थी। उनके पति आलोक मौर्य ने अपनी पत्नी को उच्च शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षा दिलाई, जिसमें ज्योति मौर्य ने पी.सी.एस. (प्रांतीय सिविल सेवा) उत्तीर्ण की। एस.डी.एम. बनने के बाद उन्हें अपने पति की सामाजिक स्थिति पर शर्म महसूस हुई कि वह उप जिला मजिस्ट्रेट हैं और उनका पति एक मामूली सफाई कर्मी। इसी सोच ने ज्योति को अपनी निगाहें बदलने पर मजबूर कर दिया। लिहाज़ा उनके समकक्ष जिला होम गार्ड कमांडेंट के पद पर रहे मनीष दुबे से उनकी आंखे लड़ गयी और बात दूर तक फैल गई। इसी बात पर मीडिया और भारतीय समाज लगातार ज्योति मौर्य की किरदार कुशी (चरित्र हनन) में लगा हुआ है। सब की सहानुभूति आलोक मौर्य के साथ है।

ऐसा ही मामला पाकिस्तानी महिला सीमा हैदर का भी है। सीमा सिंध के खैरपुर जिले के एक दूरदराज के गांव की रहने वाली बताई जाती है। उनके पति का नाम गुलाम हैदर है। वह छोटी-मोटी नौकरियां करके अपनी पत्नी और चार बच्चों का भरण-पोषण कर रहे थे। गुलाम हैदर बच्चों के अच्छे भविष्य और सुखी जीवन के लिए 2019 में सऊदी अरब चला गया। अपने पति की अनुपस्थिति में, सीमा एक ऑनलाइन गेम के दौरान भारत के सचिन मीणा के संपर्क में आई। ऑनलाइन कनेक्शन बढ़ता गया यहाँ तक कि सीमा अपने बच्चों को सचिन से मिलने नेपाल चली आई। एक हफ्ते की मौज-मस्ती के बाद सीमा पाकिस्तान लौट गयी और अपने पति की कमाई से खरीदा गया प्लॉट बेचकर अपने बच्चों को साथ ले कर और 13 मई को नेपाल के रास्ते अवैध रूप से भारत में प्रवेश कर गई। जहां उसका प्रेमी सचिन इंतजार कर रहा था। दोनों नाम बदल कर रहने लगे, लेकिन एक दिन राज खुल गया। सीमा, सचिन और सचिन के पिता को जेल भेज दिया गया। आश्चर्यजनक रूप से, केवल दो दिनों में तीनों को जमानत मिल गई। और अब सीमा भारतीय मीडिया में छाई हुई है। हर चैनल सीमा का इंटरव्यू ले रहा है और हिंदू समाज में हर कोई सीमा के साहस और प्यार को सलाम कर रहा है।

ध्यान दें..!
ज्योति से नफरत इस लिए हो रही है क्योंकि उनके अनुसार ज्योति का अपने पति को धोखा देकर किसी गैर मर्द से इश्क लड़ना प्यार नहीं बल्कि बदचलनी है, जबकि वही समाज सीमा को पलकों पर बिठा रहा है क्योंकि सीमा अपने पति को धोखा देकर दूसरे आदमी से आंखे लड़ा रही है। काम एक ही है, लेकिन नज़रिया अलग है। आखिर एक ही काम के लिए ज्योति का अपमान और सीमा की सराहना क्यों ?

बात सिर्फ इतनी है कि ज्योति के मामले में “पति, पत्नी और प्रेमी” तीनों हिंदू हैं, जबकि सीमा के मामले में पति-पत्नी मुस्लिम हैं और प्रेमी हिंदू है। इसलिए हिंदू लड़की का ‘प्यार’ ‘बदचलनी’ लग रहा है। और मुस्लिम लड़की की ‘बदचलनी’ को सच्चा प्यार’ कहा जा रहा है। अगर सीमा हैदर सचिन की जगह किसी मुस्लिम लड़के के लिए भारत आती तो क्या मीडिया और हिंदू समाज का यही रवैया होता?

दुनिया जानती है कि अगर ऐसा होता तो सीमा समेत उसके प्रेमी का पूरा परिवार आतंकवाद के आरोप में जेल में डाल दिया गया होता। लेकिन अब मीडिया और लोग इस बात को लेकर खुश हो रहे हैं कि मुस्लिम लड़की हिंदू समाज की बहू बनने जा रही है और वो भी दुश्मन देश की लड़की ! यही वो जज्बा है कि युवा और कुँवारा होने के बावजूद सचिन चार बच्चों की मां को भी कबूल करने को तैयार है, यहां तक कि उसके चार बच्चों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी भी उठाने की बात कर रहा है।

अपनों पे सितम गैरों पे करम!

इसी साल 18 अप्रैल 2023 को मुरादाबाद में एक रोहिंग्या महिला फातिमा को गिरफ्तार किया गया था, जबकि इस महिला की शादी एक भारतीय मुस्लिम से हुई थी और उसके तीन बच्चे थे. इससे पहले सितंबर 2022 में फरजाना उर्फ माहिरा अख्तर निवासी रामपुर की फरजाना को पाकिस्तानी बता कर सरकारी शिक्षक के पद से निलंबित कर दिया गया था। जबकि फरजाना का जन्म इसी देश में हुआ था, उन्होंने यहीं पढ़ाई की। उनका पूरा परिवार रामपुर में रहता है। फरजाना का अपराध केवल इतना था कि उसने एक पाकिस्तानी व्यक्ति से शादी की थी। वह दो साल तक वहां रही। दो साल बाद उसका तलाक हो गया और वह अपने वतन लौट आईं। सरकारी नौकरी मिली और शिक्षिका बन गई। बाद में उन्हें यह कहकर नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था कि वह पाकिस्तानी हैं। फिलहाल फरजाना कोर्ट में केस लड़ रही हैं।
एक पाकिस्तानी लड़की से सहानुभूति रखने वाला मीडिया कल फ़रज़ाना नाम की एक भारतीय बेटी को पाकिस्तानी बता रहा था। अपनी बेटी को विदेशी कहना और एक विदेशी की बेटी से प्यार जताना किस मानसिकता को दर्शाता है?

इसी संकीर्णता के आधार पर पूरा मीडिया और संकीर्ण सोच वाला समाज इस बात को भी नजरअंदाज कर रहा है कि भारत की सीमाएँ कितनी असुरक्षित हैं, एक मामूली पढ़ी-लिखी महिला कितनी आसानी से इसमें प्रवेश कर गई। उन्हें इस बात की खुशी है कि एक हिंदू लड़का एक ‘मुस्लिम लड़की’ की मांग में सिन्दूर लगा रहा है।… बस इस एक सीन से ही हर कोई खुशी से फटा जा रहा है।
हालाँकि सीमा (जो अब इस्लाम छोड़ चुकी है) का इस्लाम से लगाव इसी बात से ज़ाहिर है कि उसे फिल्मी गाने तो अच्छे से याद हैं, लेकिन इस्लाम का पहला कलमा और पाँच नामजो के नाम तक याद नहीं हैं। ऐसी औरत जो सिरे से इस्लाम को जानती ही न हो उसका आवारागर्दी के लिए पति को धोखा देना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। अगर आज गुलाम हैदर पीड़ित है तो कल सचिन भी हो सकता है, लेकिन इस घटना ने एक बार फिर मीडिया और चरमपंथियों के मुस्लिम विरोधी पूर्वाग्रह को उजागर कर दिया है।

लेखक- ग़ुलाम मुस्तफा नईमी
(रोशन मुस्तकबिल दिल्ली

13 जुलाई 2023

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