- पैग़ंबर-ए-आज़म ने दुनिया को दिया बेटी बचाओ व शिक्षित होने का संदेश: मुफ़्ती अख़्तर
गोरखपुर। पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि के मूए मुबारक (पवित्र बाल) की जियारत सलातो सलाम के बीच रविवार को दीवान बाजार स्थित ख्वाजा नासिर अली के मकान पर बाद नमाज जोहर करवाई गई।
जियारत से पहले मिलाद हुई। जिसमें मुख्य अतिथि मुफ़्ती-ए-शहर अख़्तर हुसैन मन्नानी ने मूए मुबारक की फजीलत हदीस की रोशनी में बयान की। कहा कि पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने कहा है कि जो मुसलमान इस दुनिया में बच्चियों को खुश होकर सही तालीम देंगे और उनकी परवरिश करेंगे उन्हें मैं जन्नत में लेकर जाऊंगा। पैग़ंबर-ए-आज़म ने 1400 साल पहले ही पूरी दुनिया को शिक्षा हासिल करने, बेटी बचाओ व स्वच्छता का संदेश दिया था। इस्लाम में पाकी (स्वच्छता) को आधा ईमान करार दिया गया है। क़ुरआन-ए-पाक की पहली आयत का नुजूल लफ्जे ‘इकरा से हुआ है यानी पढ़ो। मजदूरों के हक की आवाज सबसे पहले पैग़ंबर-ए-आज़म ने उठाई और पसीना सूखने से पहले मजदूरी देने का हुक्म दिया। विधवा से शादी करके महिलाओं का सम्मान बढ़ाया। महिलाओं को संपत्ति में अधिकार दिया। पत्थर खाकर, जुल्म सहकर भी दुआएं दीं और अंहिसा का पैग़ाम दिया।
उन्होंने कहा कि सारी मखलूक अल्लाह की रज़ा चाहती है। अल्लाह पैग़ंबर-ए-आज़म की रज़ा चाहता है। पैग़ंबर-ए-आज़म की फरमाबरदारी अल्लाह की फरमाबरदारी है। पैग़ंबर-ए-आज़म अल्लाह की अता से अपने चाहने वालों का दरूदोसलाम सुनते हैं। फरियादियों की फरियाद भी सुनते हैं और अल्लाह की दी हुई ताकत से उनके दुख-दर्द दूर करते हैं।
ख्वाजा नासिर ने अकीदतमंदों को मूए मुबारक की जियारत करवाई। इसके बाद शीरनी तकसीम की गयी। इस दौरान रेहान फरीद, नजमूल हक मारूफी, फैजुल हक मारूफी, सैयद यामीनुज जफर, मो. आसिम, आदिल रजी, ख्वाजा अदयान अली, कैसर रज़ा आदि मौजूद रहे।