कविता सामाजिक

सब याद रखा जाएगा

वो दिसम्बर कीथरथराती शामों केघटाटोप अंधेरों मेंनिहत्थों पर तुम्हारालाठियाँ बरसानाआँसू गैस के गोलों सेतुम्हारा वो ज़ुल्म ढानाकैम्पसों को वो तुम्हाराछावनी में तब्दील कर देनाफ़िर लाइबेरियों में घुस करतबाही मचानाजैसे हमारे क़लम किताबों सेकोई पुरानी सी दुश्मनी निभानाफ़िर सैंकड़ों बेकसूरों कोझूठे इलज़ामों में फंसा करख़ुद की फ़र्जी देश भक्तिसाबित करनाहक़ बोलने वालों कोज़ोर के बल पे […]